पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/३५३

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कुल सामाजिक पूंजी का पुनरुत्पादन तथा परिचलन - वस्तु . में उत्पाद के रूप में पड़ा हुआ है, II को उपभोग वस्तुओं को खरीदने में ५०० पाउंड की द्रव्य राशि खर्च कर देता है। II उन्हीं ५०० पाउंड से I से उत्पादन साधन ख़रीदता है और इस प्रकार अपनी समूची स्थिर पूंजी ( १,००० + ५०० + ५०० = २,०००) रूप में प्रतिस्थापित करता है, जब कि I अपने सारे वेशी मूल्य का उपभोग वस्तुओं में सिद्धिकरण कर लेता है। कुल मिलाकर ४,००० पाउंड की द्रव्य राशि की पण्य वस्तुओं का सारा विनिमय २,००० पाउंड के द्रव्य परिचलन द्वारा संपन्न हो जायेगा। २,००० पाउंड की यह राशि केवल इसलिए वनती है कि सारे वार्षिक उत्पाद को थोक रूप में, कुछ बड़े ढेरों में विनिमीत हुआ बताया गया है। यहां महत्व की बात यह है कि II ने उपभोग वस्तुओं के रूप में पुनरुत्पादित अपनी स्थिर पूंजी को उत्पादन साधनों के रूप में पुनःपरिवर्तित ही नहीं कर लिया है, वरन इसके अलावा ५०० पाउंड भी पुनः प्राप्त कर लिये हैं, जो उसने उत्पादन साधन ख़रीदने के लिए परिचलन में पेशगी दिये थे; और यह कि इसी प्रकार I के पास अब श्रम शक्ति में फिर से प्रत्यक्षतः परिवर्तनीय द्रव्य पूंजी की तरह उसकी वह परिवर्ती पूंजी ही द्रव्य रूप में नहीं है, जिसका उसने उत्पादन साधनों के रूप में पुनरुत्पादन किया था, वरन उपभोग वस्तुओं के क्रय में अपनी पूंजी के वे अंश के विक जाने की प्रत्याशा में ख़र्च किये गये ५०० पाउंड भी होते हैं। ये ५०० पाउंड उसके पास किये गये खर्च के कारण नहीं, वरन उसके माल उत्पाद जिसमें वेशी मूल्य का अर्धांश सन्निहित है, की वाद में विक्री के कारण लौटकर , के एक भाग, आते हैं। 1 दोनों ही मामलों में यही नहीं होता कि II की स्थिर पूंजी उत्पाद के रूप से उत्पादन साधनों के दैहिक रूप में पुनःपरिवर्तित हो जाती है, जिस रूप में ही वह पूंजी की तरह कार्य कर सकती है, इसी प्रकार यही नहीं होता कि 1 की पूंजी का परिवर्ती अंश अपने द्रव्य रूप में और 1 के उत्पादन साधनों का बेशी मूल्यांश अपने उपभोज्य रूप में परिवर्तित हो जाता है, जिस रूप में उसका प्राय की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। यह भी होता है कि द्रव्य पूंजी के वे ५०० पाउंड II के पास लौट आते हैं, जो उसने उपभोग साधनों के रूप में विद्यमान अपनी स्थिर पूंजी के मूल्य के तदनुरूप क्षतिपूरक अंश को बेचने से पहले पेशगी दिये थे ; और इसके अलावा 1 के पास वे ५०० पाउंड भी लौट आते हैं, जो उसके द्वारा anticipando [प्रत्याशा में] उपभोग वस्तुओं के क्रय में खर्च किये गये थे। अगर II द्वारा अपने माल उत्पाद के स्थिर अंश के मोल पर और I द्वारा अपने पण्य उत्पाद बेशी मूल्यांश के मोल पर पेशगी दिया गया धन उनके पास लौट आता है, तो केवल इसलिए कि पूंजीपतियों का एक वर्ग II की माल रूप में विद्यमान स्थिर पूंजी के अलावा ५०० पाउंड परिचलन में डालता है, और दूसरा वर्ग भी 1 में माल रूप में विद्यमान बेशी मूल्य के अलावा उतनी ही राशि परिचलन में डालता है। अंततोगत्वा इन दोनों क्षेत्रों ने अपने-अपने मालों के रूप में समतुल्यों का विनिमय करके परस्पर एक दूसरे का पूरा भुगतान कर दिया है। उनके द्वारा परिचलन में अपने मालों के मूल्य से आधिक्य में उनके विनिमय को कार्यान्वित करने के साधन के रूप में डाला गया धन परिचलन से इनमें से प्रत्येक के पास इन दोनों में से प्रत्येक द्वारा उसमें डाले गये अंश के यथानुपात लौट आता है। इससे दोनों में कोई धेला भर भी ज्यादा अमीर नहीं हो जाता। II के पास उपभोग वस्तुओं के रूप में २,००० की तथा द्रव्य रूप में ५०० की स्थिर पूंजी थी ; अब उसके पास पहले की ही तरह २,००० उत्पादन साधनों में और ५०० द्रव्य रूप में हैं। इसी प्रकार I के पास पहले की ही तरह १,००० का वेशी मूल्य 1