पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/३८८

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साधारण पुनरुत्पादन ३८७ का जव वर्च किया जाता है। इधर १,००० के बरावर जो द्रव्य. I के श्रमिकों से II के पूंजीपतियों के पास आ गया है, वह उत्पादक पूंजी II के स्थिर तत्व के रूप में कार्य नहीं कर सकता। वह अभी केवल उसकी माल पूंजी का द्रव्य रूप है, जो स्थिर पूंजी के स्थायी अथवा प्रचल घटकों में बदला जायेगा। इस प्रकार I के श्रमिकों से, अपने माल के खरीदारों से , प्राप्त द्रव्य से II १,००० के उत्पादन साधन . I से ख़रीदता है। इस प्रकार. स्थिर पूंजी मूल्य ll का उसकी कुल राशि के अर्धांश तक उसके दैहिक रूप में नवीकरण होता है, जिसमें वह उत्पादक पूंजी II के तत्व के रूप में फिर से कार्य कर सकता है। इस प्रसंग में परिचलन का क्रम मा-द्र-मा था: १,००० मूल्य की उपभोग वस्तुएं- १,००० द्रव्य- १,००० मूल्य के उत्पादन साधन । किंतु . मा-द्र -मा यहां · पूंजी की गति का प्रतिनिधित्व करता है। मा श्रमिकों को बेचा जाता है , तव : वह द्र में बदल जाता है और यह द्र उत्पादन साधनों में बदल जाता है। जिन भौतिक तत्वों से वह मोल बना है, यह उन्हीं में मालों का पुनःपरि- वर्तन है। दूसरी ओर, जैसे II का पूंजीपति I के संदर्भ में केवल मालों के ख़रीदार का काम करता है, वैसे ही I का पूंजीपति II के संदर्भ में केवल मालों के विक्रेता का काम करता है। I ने आरंभ में १,००० मूल्य की श्रम शक्ति परिवर्ती पूंजी के रूप में कार्य करने के लिए उद्दिष्ट द्रव्य रूप में १,०,०० से ख़रीदी थी। अतः उसने द्रव्य रूप में जो १,०००५ खर्च किया था, उसका समतुल्य उसे मिल गया है । वह द्रव्य अव मजदूर का है , जो II से ख़रीदारियों में उसे ख़र्च कर सकता है। इस तरह जो द्रव्य II के कोष में पहुंच गया है, उसे I तब तक वापस नहीं पा सकता कि जब तक उसी मूल्य की विक्री से उसे वहां से फिर न निकाल ले। पहले I के पास परिवर्ती पूंजी की तरह कार्य करने के लिए उद्दिष्ट १,००० के वरावर निश्चित द्रव्य राशि थी। द्रव्यं इस रूप में उसी मूल्य की श्रम शक्ति में रूपांतरण द्वारा काम करता है। किंतु मजदूर ने उत्पादन प्रक्रिया के फलस्वरूप उसे ६,००० के माल ( उत्पादन साधनों) की माता की पूर्ति की जिसका छठा भाग अथवा १,००० द्रव्य रूप पेशगी पूंजी के परिवर्ती भाग के बराबर है। परिवर्ती पूंजी मूल्य अब अपने माल रूप में परिवर्ती पूंजी का कार्य नहीं करने लगता है, जैसे वह पहले द्रव्य रूप में भी नहीं करता था। वह ऐसा संजीव श्रम शक्ति में परिवर्तित होने के बाद ही कर सकता है और केवल तभी तक कि जब तक यह श्रम शक्ति उत्पादन प्रक्रिया में कार्यशील रहती है। द्रव्य रूप में परिवर्ती पूंजी मूल्य केवल संभाव्य परिवर्ती पूंजी था। किंतु वह ऐसे रूप में था, जिसमें वह श्रम शक्ति में प्रत्यक्षतः परिवर्तनीय था। माल के रूप में वही परिवर्ती पूंजी मूल्य' अंव भी संभाव्य मुद्रा 'मूल्य है, वह केवल मालों की विक्री द्वारा, अतः II द्वारा १,००० के माल खरीदे जाने पर ही अपने मूल द्रव्य रूप में फिर वहाल होता है। यहां परिचलन की गति इस प्रकार है : १,०००प (द्रव्य)- १,००० मूल्य की श्रम शक्ति - मालों के रूप में १,००० (परिवर्ती पूंजी का समतुल्य ) १,०००प (द्रव्य); अतः द्र मा मा-द्र (द्र-श्र मा द्र के वरावर)। मा मा के बीच होनेवाली उत्पादन प्रक्रिया स्वयं परिचलन क्षेत्र के दायरे में नहीं आती। वार्षिक पुनरुत्पादन के विभिन्न तत्वों के परस्पर विनिमय में वह कहीं सामने नहीं आता, यद्यपि इस विनिमय में उत्पादक पूंजी के सभी तत्वों का, स्थिर तत्व का और परिवर्ती तत्व (श्रम शक्ति ) का भी पुनरुत्पादन शामिल है। इस विनिमय में भाग लेनेवाले सभी तत्व ग्राहक या विक्रेता, या दोनों की हैसियत से प्रकट होते हैं। मजदूर केवल मालों के ग्राहक की 9

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