पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/४४३

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११३ कुल मामाजिर पूंजी का पुनरुत्पादन तथा परिचलन न पति नी सा करें, तो दूसरी ओर भी हमें ऐसा ही करना होगा। लेकिन अगर हम दोनों पोर नीतियों को ध्यान में रखें, तो समस्या किसी तरह बदल नहीं जाती। २) टीम जमे II के प्रसंग में कोई साल अगले साल के वास्ते मालों की पूर्ति के साथ नाम होता है, बने ही वह उनके ही प्रसंग में मालों की पिछले साल से ली पूर्ति के साथ शुरू हुमा या । इसलिए वार्षिक पुनत्पादन के उसके सबसे अमूर्त रूप में विश्लेषण में हमें उसे दोनों ही प्रसंगों में गारिज करना होगा। अगर अगले साल के लिए दी जानेवाली माल पूर्ति सहित हम निपत वर्ष का समूचा उत्पादन उसमें रहने दें और इसके साथ ही उससे उसे पूर्व वर्ष से अंतरित माल पूर्ति को निकाल लें , तो हमारे सामने हमारे विश्लेपण के विषय के रूप में प्रौलत माल का वास्तविक समुच्चित उत्पाद पा जायेगा। ३) यह सीधी सी बात कि साधारण पुनरुत्पादन के विश्लेपण में हमें उस कठिनाई का सामना नहीं करना पड़ा था, जिससे अब निपटना है, यह सिद्ध करती है कि हमारे सामने एक विशिष्ट परिघटना है, जिसका एकमात्र कारण I तत्वों का ( पुनरुत्पादन के संदर्भ में) भिन्न समूहन है, बदला हुअा समूहन है, जिसके विना विस्तारित पैमाने पर पुनरुत्पादन हो ही नहीं सकता। ३. संचय का सारणीबद्ध प्रस्तुतीकरण अब हम पुनन्तपादन का अध्ययन निम्न सारणी के अनुसार करेंगे : I. ४,०००+ १,०००+१,००°वे ६,००० सारणी क) योग ८,२५२। II. १,५०°स+ ३७६५+ ३७६वे = २,२५२ सबसे पहले हम यह देखते हैं कि वार्पिक सामाजिक उत्पाद का कुल योग अथवा ८,२५२ पली सारणी के कुल योग से कम है, जहां वह ६,००० था। हम इससे काफ़ी बड़ी संख्या , मसलन, १० गुना बड़ी संख्या की भी कल्पना कर सकते हैं। हमने अपनी पहली सारणी की अपेक्षा छोटी राशि इसलिए चुनी है कि यह स्पष्टतः लक्षित हो जाये कि विस्तारित पैमाने पर पुनरुत्पादन (जिसे यहां पूंजी के और बड़े निवेश से चलाया जानेवाला उत्पादन भर माना गया है ) किसी भी तरह उत्पाद के निरपेक्ष परिमाण से संबद्ध नहीं है और मालों की दी हुई मात्रा के लिए इसका प्राशय केवल दिये हुए उत्पाद के विभिन्न तत्वों के कार्यों का भिन्न क्रम अथवा भिन्न परिसीमन होता है, फलतः जहां तक उत्पाद के मूल्य का संबंध है, यह केवल साधारण पुनरुत्पादन है। जो चीज़ परिवर्तित होती है, वह साधारण पुनरुत्पादन के दिये हुए तत्वों की माना नहीं, वरन उनका गुणात्मक निर्धारण है, और यह परिवर्तन विस्तारित पैमाने पर आगे होनेवाले पुनरुत्पादन का भौतिक पूर्वाधार है। परिवर्ती पोर स्थिर पूंजी के बीच के अनुपात को बदलकर हम सारणी को दूसरा रूप दे सकते हैं। उदाहरण के लिए, इस प्रकार : 58 53 इसमें जेम्स मिल और एस० वेली के बीच पूंजी संचय को लेकर चले विवाद का, जिनकी चर्चा एक अन्य दृष्टिकोण से हम पहले खंड (Kap. XXII, 5, Note 64) [हिंदी संस्करण : अध्याय २४, अनुभाग ५, पृष्ठ ६८५, टिप्पणी २] में कर चुके हैं, यानी प्रौद्योगिक पूंजी का परिमाण बदले बिना उसके कार्य को विस्तारित करने की संभावना के बारे में विवाद का सदा के लिए वात्मा हो जाता है। इसकी चर्चा हम पागे फिर करेंगे।