पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/६५

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६४ पूंजी के रूपांतरण और उनके परिपय लिए द्र मा गायब हो जाता है। द्रव्य रूप में निरन्तर आवर्तनशील पेशगी और द्रव्य रूप में उसकी निरन्तर वापसी परिपय में निमिप मात्र जैसे लगते हैं। तीसरे, द्र-मा मा'-द्र। द्र-मा मा' -द्र'। द्र-मा...उ... आदि। ... निरन्तर ग्रा- - . परिपथ की दूसरी प्रावृत्ति से चलने पर द्र के दूसरे परिपथ पूरे होने के पहले ही मा' -द्र'। द्र मा उ परिपथ प्रकट हो जाता है। इस प्रकार वादवाले सभी परिपथ उ ... मा'-द्र-मा .. उ. के रूप के अन्तर्गत विवेचित हो सकते हैं। फलतः प्रथम परिपथ का पहला दौर होने के नाते द्र मा उत्पादक पूंजी वर्तित परिपथ के लिए प्रासंगिक तैयारी मान है। और दरअसल द्रव्य पूंजी के रूप में पहली बार लगाई प्रौद्योगिक पूंजी के साथ यही होता है। दूसरी ओर इसके पहले कि. उ का दूसरा परिपय पूरा हो, पहला, माल पूंजी का परि- पथ मा-द्र'। द्र-मा मा'. ( संक्षेप में मा' मा') पूरा हो चुकता है। इस तरह प्रथम रूप में अन्य दो रूप पहले से ही समाहित होते हैं, और इस प्रकार द्रव्य रूप, जहां तक कि वह मूल्य की अभिव्यंजना मात्र नहीं है, वरन समतुल्य रूप में, द्रव्य में, मूल्य की अभिव्यंजना है, विलुप्त हो जाता है। अन्त में यदि हम नव निवेशित वैयक्तिक पूंजी को लें, जो पहली वार द्र- मा मा' -द्र' परिपय पूरा कर रही है, तो द्र मा. प्रारंभिक दौर, उत्पादन की पहली प्रक्रिया का पेशवा होता है, जिससे यह पूंजी गुज़रेगी। फलतः द्र- मा का यह दौर पूर्वानुमानित नहीं होता, वरन उत्पादन प्रक्रिया द्वारा अपेक्षित अथवा आवश्यक बनाया जाता है। किन्तु यह वात केवल इस वैयक्तिक पूंजी पर लागू होती है। जव भी पूंजीवादी उत्पादन पद्धति विद्यमान मानी हुई होती है, अत: पूंजीवादी उत्पादन द्वारा निर्धारित सामाजिक परिस्थितियों में प्रौद्योगिक पूंजी के परिपथ का सामान्य रूप द्रव्य पूंजी का परिपथ ही होता है । इसलिए पूंजीवादी उत्पादन प्रक्रिया को नवनिवेशित प्रौद्योगिक पूंजी की द्रव्य पूंजी के पहले परिपथ में नहीं, तो उसके वाहर पूर्वापेक्षा के रूप में मान लिया जाता है। इस उत्पादन प्रक्रिया का सातत्य निरन्तर नवीकृत उ उ परिपय की पूर्वापेक्षा करता है। पहली मंजिल , में भी यह पूपिंक्षा अपनी भूमिका अदा करती है, क्योंकि इसमें एक ओर उजरती मजदूरों के वर्ग का अस्तित्व पूर्वकल्पित होता है और तब दूसरी ओर यह कि उत्पादन साधनों के ग्राहक के लिए जो द्र-मा पहली मंजिल है, वह उनके विक्रेता के लिए मा'-द्र' है। इसलिए मा' माल पूंजी के अस्तित्व की और इस पूंजीवादी उत्पादन के फलस्वरूप स्वयं माल के अस्तित्व की और इस प्रकार उत्पादक पूंजी के कार्य की पूर्वापेक्षा करता है। द्र - मा < सा प्रकार