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पृष्ठ:कार्ल मार्क्स पूंजी २.djvu/६९

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६८ पूंजी के रूपांतरण और उनके परिपथ द्वारा और समग्र उत्पाद द्वारा भी प्रकट किये जा सकते हैं। जैसे इस कुल उत्पाद १०,००० पाउंड मूत का विभाजन यों हो सकता है : स्थिर पूंजी मूल्य (स)- ३७२ पाउंड कीमत का ७,४४० पाउंड सूत; परिवर्ती पूंजी मूल्य (प)-५० पाउंड का १,००० पाउंड सूत , और वेगी मूल्य (वे) --७८ पाउंड का १,५६० पाउंड सूत ; वैसे ही प्रत्येक पाउंड सूत यों विभाजित हो सकता है : स-८,६२८ पेन्स का ११,६०४ ग्राउंस सूत , प- १,२०० पेन्स का १,६०० ग्राउंस नूत, और वे - १,८७२ पेन्स का २,४६६ आउंस सूत। पूंजीपति १०,००० पाउंड सूत के विभिन्न अंश क्रमशः बेच भी सकता है और उनमें समाहित वेशी मूल्य के तत्वों के क्रमिक अंशों का क्रमशः उपभोग कर सकता है और इस प्रकार वह क्रमशः ही स+प की रकम का सिद्धिकरण करता है। किन्तु अन्ततोगत्वा यह क्रिया भी यह पूर्वापेक्षा करती है कि १०,००० पाउंड मूत की समूची राशि वेची जायेगी और इसलिए ८,४४० पाउंड सूत की विक्री द्वारा स और प के मूल्य की प्रतिस्थापना हो जायेगी (Buch I, Kap. VII, 2.) * । जो भी हो, मा-द्र' के माध्यम से मा' में समाहित पूंजी मूल्य तथा वेशी मूल्य - दोनों-वियोज्य अस्तित्व, द्रव्य की विभिन्न राशियों का अस्तित्व प्राप्त कर लेते हैं। दोनों ही प्रसंगों में द्र और द्र दरअसल उस मूल्य का परिवर्तित रूप हैं, जिसे मूलतः मा' में माल की कीमत की हैसियत से केवल एक अपनी काल्पनिक अभिव्यंजना प्राप्त थी। मा- द्र-मा मालों का साधारण परिचलन है, जिसका पहला दौर मा-द्र माल पूंजी के परिचलन माद्र' में सम्मिलित है, अर्थात पूंजी के परिपथ में सम्मिलित है। इसके विपरीत इसका पूरक दौर द्र- मा इस परिपय के बाहर पड़ता है, क्योंकि वह मालों के साधारण परिचलन के अन्तर्गत एक पृथक क्रिया होता है। मा और मा का परिचलन , पूंजी मूल्य और वेशी मूल्य का परिचलन मा के द्र में रूपान्तरित होने पर विभाजित हो जाता है। अतः परिणाम यह निकलता है : पहले , जहां मा’ - द्र' =मा- (द्र+द्र ) क्रिया द्वारा माल पूंजी का सिद्धिकरण हो जाता है, वहां पूंजी मूल्य और वेशी मूल्य की गति जो मा-द्र' में अभी संयुक्त रहती है और मालों की एक ही राशि द्वारा सम्पन्न होती है, वह वियोज्य हो जाती है और अब वे दोनों गतियां द्रव्य की भिन्न राशियों की हैसियत से स्वतंत्र रूपोंवाली बन जाती हैं। दूसरे, यदि यह वियोजन होता है, तो द्र पूंजीपति की आमदनी के रूप में व्यय किया जाता है, जब कि पूंजी मूल्य के कार्यशील रूप की हैसियत से द्र परिपथ द्वारा निर्धारित मार्ग पर चलता रहता है। वादवाली क्रियानों, द्र-मा और द्र- मा के सम्बन्ध में पहली क्रिया मा'-द्र दो विभिन्न परिचलनों मा-द्र-मा और मा-द्र- मा के रूपों में प्रकट की जा सकती है। और ये दोनों शृंखलाएं, जहां तक इनके सामान्य रूप का सम्बन्ध है, मालों के साधारण परिचलन में आती हैं। प्रसंगतः अविछिन्न , अविभाज्य मालों के मामले में मूल्य के घटकों को काल्पनिक रूप में अलग कर लेने का रिवाज है। उदाहरण के लिए, लन्दन के निर्माण व्यवसाय में, जो मुख्यतः 1

  • हिन्दी संस्करण : अध्याय ६, २१-सं०