फालिदास।]
विद्वत्ता और सूदम विचार-शक्ति का पता लगता है। घाल्मीकि, व्यास और कालिदास के कामों का उन्होंने में भाव समझा है यह शायद ही और किसीके मान में माय होगा। उसी लेख का मतलय, टे-फूटे शब्दों में,भी प्रकाशित किया जाता है।
घारमीकि, न्यास और कालिदास के प्रन्यों प्राचीन भारत का इतिहास विद्यमान है। ये तीनों महार प्रात्मा की भिन्न भिन्न तीन अयस्थानों किया शक्तियों उदाहरण है। ये शक्तियाँ नैतिक, मानसिक और पाय:तिक है। इनके कार्यो में इन तीन प्रधान रानियों का पिकाम पाया जाता है। इन तीनों कवियों में समाप कविय-शक्ति थी। इनमें अपने समय के मनुष्यों की भित्र प्रयस्थानों को छोटी-पड़ी सभी घटनाये वर्णन कर विलक्षण शक्ति थी। पधिमी दुनिया के प्रमिद कपि ।शेषमपियर सथा दान्ते से न तीनों की यथा-प्रम !की जा सरती है। इन तीनों करियों के कार ग्राये-जाति की गमता-सम्बन्धिी तीन प्रयाओं दी एन्दर चित्र देने में प्राने हैं। पाश्मीकि मायों की नैतिक के निरोपाग केमानसिक प्रया के, कालिदाम कामों में गाय मयमा । मामा की एक र यया होती प्रपया पारमार्षिक अपना पक्ष र