कालिदास। जन्महेतयः -सिर्फ यह एक उक्ति इस कथन के समर्थन के लिए यथेष्ट है। भूगोल मान । मेघदूत में कालिदास ने जो अनेक देशों, नगरौ, पर्वतों और नदियों का वर्णन किया है उससे जान पड़ता है कि उन्हें भारत का भौगोलिक मान भी यहुत अया था। उन्होंने अनेक देश-दर्शन करके-दर दर की यात्रा करके- यह शान मान किया होगा। चोल, केरल और पाइप देश का उन्होंने जैसा यर्णन किया है। विय-गिरि, हिमालय भीर काश्मीर के विषय में उन्होंने जो कुछ लिया है। रघुपंग के तेरहय सर्ग में भारतीय समुद्र के सम्बन्ध में जो उक्तियाँ उन्होंने कही है, उन्हें पढ़ते समय यह जान पाता है, जैसे कोई इन सयका आँखा देगा हाल लिख रहा हो। उनके न पर्णनों में बहुत ही कम भौगोलिक प्रम है। अनपय पदी कहना पड़ता है कि कालिदाम ने भारत में दूर दूर तक म्रमण करके अनेक प्रकार के मौगोलिक श्यों का परिकान प्राप्त किया था। निम्मा I
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