पृष्ठ:कालिदास.djvu/१५६

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कालिदास!

दी गई हैं। पढ़े अानन्द का विषय है, इस अमात्र को एक पनयासी विमान में दूर कर दिया। श्रीयुन गजेन्द्रनायदेय शम्मा, विचाम्यण, फलफत्ते के समान-कालेज में अध्यापक है। धार फलकत्ता-विश्वविद्यालय के परीक्षा और व्या- ल्याता ( Lecturer) भी हैं। की उत्तमोत्तम प्रन्य भी मापने पनाये हैं। "कालिदास और भयभूति" नाम की भी एक उपयोगी पुस्तफ की रचना प्रापने की है। श्रापका एफ नया अन्य हाल में प्रकाशित हुया है। उसका नाम है-"कालिदास । यह माननीय विचारपति डास्टर आशुतोष मुखोपाध्याय सरस्वती, सी० एस० आई०, पम् ए०, डी० एल०, डी० एस-सी० को समर्पित किया गया है। फलकत्ते की इम्पीरियल लाइब्रेरी के अध्यक्ष, अनेक भाषा- भिश परम विद्वान् श्रीयुत हरिनाथ दे, पम् ए०, की लिखी हुई, पुस्तकारम्भ में, एक विचार-पूर्ण भूमिका, अँगरेजी में, प्रकाशित की गई है। पुस्तक बँगला में है और कई मनोहर चित्रों से अलंकत है। छः सौ से अधिक पृष्ठों में वह समाप्त हुई है। उसमें कालिदास के रघुवंश, कुमार-सम्भर, मेघदूत, अभिज्ञान-शाकुन्तल, विक्रमोर्वशीय और मालविकाग्निमित्र की विस्तार-पूर्वक समालोचना है। समालोचना यड़ी ही योग्यता और मार्मिकता से की गई है। समालोचक महोदय

ने ऐसे अनेक रहस्यों का उद्घाटन किया है जिनका साधारण-

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