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पृष्ठ:कालिदास.djvu/२१६

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फालिदाम। मार प्रतामोडयन इस्पर्धना धरमपाटिल दसरा प्राय ! चलो, आगे यहो, और किमी गजा को देगो, यहाँ फर तक पड़ी रहोगी ! इस व्यंग्य यचन को एनफर इन्दुमती ने येतरह या तिरछी करके उसकी तरफ देखा। तिरछी आय में दंपने के इस दृश्य में जो भाय है यह सर्वथा चित्रित किये जाने योग्य है। इन्दुमती ने अज को ही पसन्द किया। अतपय दोनों का विवाह हो गया। इन्दुमती को लेकर अज अयोध्या को लौटा। पर स्वयंवर में निराश हुए. राजाओं ने उसे मार्ग में हो रोका। उन्होंने चाहा कि इन्दुमती को अज से जयर-- दस्ती छीन लें। श्रज ने यह देखकर अपने पिता के मन्त्री से कहा कि कुछ योद्धाओं सहित तुम इन्दुमती की रक्षा फरो। मैं शत्रुओं की ख़यर लेता है। दोनों पक्षों में घोर युद्ध हुआ। अन्त को अज ने सम्मोहनास्त्र-द्वारा पैरियों को समर-भूमि में कठपुतली यना दिया। उनके हाथ-पैर येकार हो गये। जहाँ के तहाँ ये लोग चित्र-लिखित से खड़े रह गये। उनकी ऐसी दुर्दशा करके आज इन्दुमती के पास लौट भाया- स चापकोरीनिहताबाहुः शिलनिष्कर्षभित्रमौलिः । ।