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मानित भी पड़कर कविता होनी चाहिए थी। कविता, को पुग्नक, को प्रय, कोई से इस विषय में पालिदाम से शिमीका गया। पात पददकिपिशुभ,मरल श्री लिगनापका काम नही। कालिगाम में पदकर था। सीसे मये-पुराने किमीक भाग और पिता नहीं लिख पान। इस विषचन से सिद्ध किमा पर्ष पहले भी परिमार्जित संरस्त का पर चौर, घकि अश्यघोष की कविता में कालि की छाया विधमान है, अतएप कालिदास के पहले के हैं। रोज डेविड्स साइब ने में अनुमान किया है कि अश्वघोष का युद्ध दूसरी शताब्दी की रचना है। यदि यह म तो भी कालिदास दूसरी शताब्दी से पुरा किसी तरह उन्हें पाँचवी शताब्दी के प्रार का तो मौका मिले। अमित-गति नाम का एक जैन पण्डि उसने सुभाषितरत्न-सन्दोह नामक एक मन s