पृष्ठ:कालिदास.djvu/२२०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

पालिदास।

शङ्कर को देखकर पार्वती कैंप पसीने पसीने हो गया। चलने के लिए। ऊपर उठाया था यह वैसा ही ऊपर उटा समय पार्वती की यह दशा हुई जो दशा र श्रा जाने से नदी की होती है । म यह जा । ही सकी।

__यदि किसी चित्रकार की दृष्टि इस तो वह कृपा करके सोचे कि कुमार-सम्भर के कोई अच्छा विष यन सकता है या नहीं।

[६]

अरुन्धती-समेत सप्तर्षि हिमाचल के यनकर गये । हिमाचल से उन्होंने प्राय कि पार्वती का विवाह शङ्कर के साथ रिधिः दीजिए । उस समय रिता के पास पार्वती भी थी। यह सब याते सुन रही थी। इस दृश्य का का ने, थोड़े में, इस तरह वर्णन किया है-

एवं वादिनि देशको पावें पितुरधोमुखी ।

खोलाकमतपत्राणि गणयामास पार्वती।

इस प्रकार जिस समय अङ्गिरा ने कहा, पिना । पास, नीचा सिर किये, खड़ी हुई, पायंती फमल के "न रही थी। खड़ी हुई, कहा, पिना।