पृष्ठ:कालिदास.djvu/२२३

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कालिदास की दिखाई ना पास हुई प्राचीन भारत को एक झलक । रत ! कया तुम वही पुराने भारत हो ? का तुम यही हो जहाँ रघु, दिलीप और राम ESS का राज्य था? समय ने तुम्हारी स्मृति भी प्रायः नष्टप्राय फरदी। समय की महिमा सर्वथा.अज्ञय और अतर्य है। उसीने तुम्हें कुछ का कुछ कर दिया। अब तो तुम पहचाने तक नहीं जाते। ___ भारत ! वय कभी तुम्हें अपनी पूर्व स्मृति भी होती है ? तुम्हें भला कभी ये दिन भी याद आते हैं जय न रेल थी,

न तार, नहाईकोर्ट था, न बोर्ड भाव रेविन्यू का दफ्तर;

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