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पृष्ठ:कालिदास.djvu/३६

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कालिदास।]
 

किसी के यश कारण नहीं करते। पांडेय जी इस समय कालिदास के स्थिति-काल-सम्बन्ध में एक या अन्य लिप रहे हैं। कालिदास का भाग्य हज़ारों वर्ष याद चमका है। इस बीच में कई अन्य उनके विषय में लिखे गये। और, यह माम अब भी जारी है।

अय एक और अाविष्कारक के धारिष्कृत तत्व सुनिए । कलकले में ए० सी० चैटजी, एम्० ए०, बी० एल्० एक घफील हैं। आपकी रचित कालिदास-विषयक, ढाई सौ पृष्ठों की, एक पुस्तक अभी कुछ दिन हुए, प्रकाशित हुई है। पुस्तक अँगरेज़ी में है। उसमें कालिदास से सम्बन्ध रखनेवाले अनेक विषयों का घर्णन और विचार हैं। एक अध्याय उसमें कालिदास के स्थिति समय पर भी है। चैटजी महोदय का भी मत है कि कालिदास मालव-नरेश यशोधर्मा के शासनकाल, अर्थात् ईसा की छठी सदी, में वर्तमान् थे। इन्होंने भी बहुत सी पूर्वोल्लिखित फल्पनाओं के आधार पर ही यह निर्णय किया है। पर इनकी एक कल्पना विलकुल ही नई है। उसे भी थोड़े में सुन लीजिये-

बड़े बड़े पण्डितों का मत है कि कपिल के सांस्य- प्रवचन-सूत्र सब से पुराने नहीं । किसीने पीछे से उन्हें बनाया है। ईश्वर-कपए की सांख्य-कारिकायें ही सांख्य- शाख का सब से पुराना ग्रन्थ है। और, ईश्वर-कृष्ण ईसा