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पृष्ठ:कालिदास.djvu/६१

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कालिदास का प्राविभीष काल । इसका सम्बन्ध विक्रम नामक राजा से है तहाँ तक ठीक है। इस पर आगे चलकर हमें बहुत कुछ कहना है। रघुवंश मै हणों का वर्णन देखकर कुछ परीक्षक परिडतों ने यह करपना की है कि कालिदास, महाराज स्कन्दगुप्त के समय में, अर्थात् ईसवी सन के पांचवें शतक के अन्त में, विद्यमान् थे। पर भारतीय ग्रन्थकारों ने हूण, यवन, शक आदि शब्दों का प्रयोग जातिवाचक अर्थों में किया है। अतएव यह निश्चयपूर्वक नहीं कहा जा सकता कि कालिदास के हूण घही इतिहास प्रसिद्ध हुए थे जिन्होंने ४५ ईसवी में भारत पर चढ़ाई की थी। बहुत सम्भव है, उसके पहले भी उनका नाम भारतवासियों को शात रहा हो। क्योंकि लूटपाट करने के लिए वे लोग इस देश की सीमा के भीतर ज़रूर घुस आते रहे होंगे। किसी किसी इतिहास-लेखक की राय है कि उज्जैन के किसी विक्रम-नामधारी राजा ने कोरूर की लड़ाई में म्लेच्छों को परास्त किया था। यह लड़ाई ईसवी सन के छठे शतक के मध्य भाग में हुई थी। विन्सैट स्मिथ साह्य ने अपने भारतवर्षीय इतिहास में लिखा है कि मध्यभारत में यशोधा नाम का एक राजा था। मगध-नरेश यालादित्य की सहायता से उसीने मिहिरगुल नामक म्लेच्च-राजा को हराया था। यद्यपि पह घटना कोहर-युद्ध के पटुत पहले ५५