[कालिदास का प्राविभय-काल । किया था। पम.मीसे कालिदाग ने रघु के पिता दिलीप से भी अश्यमेध-यक्ष फग डाला। यह सिर्फ इसलिए फि पिना पुत्र का मम्यम्य ठीक हो जाय। चन्द्रगुम दया रयु और समुद्रगुम हुआ दिलोर । और देखिए । द्वितीय चन्द्रगुप्त की माँ यदुन फरफ किसी मगधदेशीय गमा को कन्या थी। इमोसे रघु की माँ भी भागधी बनाई गई। चन्द्रगुप्त की माता का नाम था दत्तादेची धार रघु पी माता कर था सुदक्षिणा। ये 'दत्ता' और 'दक्षिणा' शर मो सगा- नार्थवाची है। चन्द्रगुप्त का विजयी होना इतिहास-प्रमिल है। इमोसे रघु से भी कालिदाम ने दिपिय कराया। फाहियान नामक चीन-देशीय यानी ने तुम-साम्राज्य के प्रयम भाग में भारत-पर्यटन किया था। उसने लिखा है कि इस राज्य में चीन का कहीं नामो-निशान भी नहीं। कालिदास ने दिलीप और रघु के शामन-समय पर्णन में भी यही यात लिम्बी है-- वातोऽपि नायंसयदंशुकानि को लम्ययेदाहरणाय हस्तम् ? कालिदास ने रघुवंश में अपने वर्णन किये गये राजाओं के लिए गोप्त शब्द का प्रयोग अनेक यार किया है। या शब्द और कवियों ने बहुत ही कम लिखा है। अय देखिए, जिस धातु में गो शब्द बना है उसी से गुप्त भी
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