[ कालिदास का आविर्भाव-काल । (२) कालिदास ने अपने कुमार-सम्भव के सातचे सर्ग में सप्तमातृका और नरफपालभूपित फाली का उल्लेख किया है। गुप्त-राजायों के समय में ही उत्कीर्ण शिला-लिपियों में पहलेपहल सप्त-मातृका-पूजा का उरलेख है। टीक उसी समय पौधधर्म से तान्त्रिक हिन्दू-धर्म का विकास दुआ था। (३) कालिदास के नाटकों में जिस प्रकार की माकृत भाषा का व्यवहार हुआ है उसका मिलान अशोक को शिलालिपियों में व्यवहत प्राकृत से करने पर मालूम होता है कि दोनों में बहुत अन्तर है। दोनों भाषायें नहीं मिलती। यदि कालिदास ईसा के पूर्व जन्म-ग्रहण करते तो उनकी मारत अशोक की प्रारुत से अयश्य ही मिलती। परन्तु यह नहीं मिलती। कालिदास की प्राकृत अशोक के बहुत समय पीछे की प्राकृत है। इससे यह सूचित हुआ कि कालिदास का जन्म उसी समय भारत में हुआ होगा जिस समय इस देश में गुप्त-राजानों का प्राधान्य था। गुप्त- राजाओं के समय में ही संस्कृत-साहित्य की विशेष उन्नति हुई। उसी समय की प्राकृत का प्रयोग कालिदास के नाटकों में है। अच्छा तो अब इसका विचार करना है कि किस गुप्त राजा के समय में कालिदास विद्यमान थे। ७३
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