यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
कालिदास । फालिदास ने कुमार-सम्भव को रचना की है। देखिए, रघुवंश में इन यातो के फोई चिह्न भी हैं या नहीं? बहुतों का मत है कि रघुवंश के प्रत्येक सर्ग में गुप्त-राजाओं का नाम वर्तमान है। चौथे और पांच सर्ग के निम्नोडत श्लोक इस सन्देह को अच्छी तरह दूर कर देते हैं- (१) तुच्छायनिपादिन्यस्तस्य गोन्नुर्गुणोदयम श्राकुमारफयोनातं शालिगोप्यो जगुर्यशः । (२)स गुममूलप्रत्यन्तः शुद्धपारियान्त्रितः । पशिधं यलमादाय प्रतस्ये विजिगीषया । २० धा२६ (३) ग्राह्म मुहले फिल तस्य देवी पुमारफल्पं सरये फुमागम् । अतः पिता प्रमाणपप गाम्ना तमात्मजन्मानमर्श घमार, ३१ किन्तु पुरंग के चौर्य और एटेगर्ग में ही अरता और भी अधिक प्रमानीय प्रमाण पाये जाने। कालिदास-कृत मपर्ण वर्णन पढ़ने में मातम होता है। पाहोंने रघुवंश में जो कुछ लिया है यह उनकी प्रांतों