[ कालिदास का आविर्भाव-काल । देखी अथवा उससे कुछ समय पहले व्यतीत हुई घटनावली का वर्शन है। ये सव घटनायें पाँचवीं सदी में, गुप्त-राजाओं के अभ्युदय के समय में ही, दुई थी। यह यात रायल एशियाटिक सोसायटी के जर्नल में प्रकाशित एक गपेपरणा- पूर्ण नियन्ध से स्पष्ट सिद्ध होती है। रघुवंश के चौथे सर्ग के श्लोक से ७१ श्लोक सफ के वर्णन से पता लगता है कि उस समय ईरानो (पारस्य देश-बासी ) लोग मारत के पश्चिमी प्रान्त में राज्य करते थे। शायद यलोचिस्तान और फन्धार की 'द्राक्षायलयभूमि' उन्ही के अधिकार में थी। हूण लोग उस समय भारत के उत्तर काश्मीर के कुंकुमोत्पादक प्रान्त-समूहों के राजा थे। इण-राज्य के उत्तर, हिमालय की दूसरी ओर, काम्बोज का राज्य फैला हुना था। इन सीनों राज्यों का इस प्रकार सनिवेश, पाँचयी शताब्दी में, पहुत ही थोड़े समय तक था। हम चीन और फारिस के इतिहास से जान सकते हैं कि सन् ४०५ ईसवी के पहले श्वेत घर्ण केहणों ने गान्धार देश जीत लिया था। इसके पाद, ४४ ईसवी में, इन्ही हणों के साथ फारिस फे राजा फीरोज़ का भीषण युद्ध हुआ था। फीरोज इस युद्ध में परास्त और हत हुमा, और भारत के समीपवर्ती पूर्वोक्ता प्रान्त उसके अधिकार से निकलकर इणों के अधिकार में चले गये। चीन के परिवार सुं-दयेन के लेखों से भी यह यात
पृष्ठ:कालिदास.djvu/९१
दिखावट