पृष्ठ:कालिदास.djvu/९५

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[ कालिदास का आविर्भाव-काल । लेख में किया है। उनका नाम है-शिवराम महादेव परांजपे, एम० ए०। आपके लेख का प्राशय, थोड़े में, सुन लीजिए- फालिदास ने मेघदूत में मेघ को जो मार्ग बताया है घह टेढ़ामेढ़ा है। रामगिरि कहीं मध्यप्रदेश में है। यहाँ से अलका प्रथया फैलाश आने के लिए सीधा मार्ग जयलपुर प्रयाग, अयोध्या वर्ग रह से था। बड़े बड़े पर्वतों धौर नदियों का उल्लंघन करना मेघ के लिए सहज पात है। अतपय राह की कठिनता के कारण कालिदास ने मेघ को रेत मार्ग से आने को कहा, यह दलील कुछ अर्थ नही रखती। फिर, पो उन्होंने अमरकण्टक, मालवेश, चित्रकूट, भिलस्म, देवगिरि, उज्जयिनी, प्रयन्ती, चम्बल श्रादि के मार्ग से उसे जाने की सलाह दी ? फों चार यार यह कहा कि पिस्शिा (भिलसा) को जरूर देखते जाना, उज्जयिनी की जरूर सैर कर लेना, महाकाल के ज़रूर दर्शन करना क्यों पह कहा कि इस टेढ़ीदी और दूर की राह से जाने में फेर सो अफर पड़ेगा, पर इसकी परषा न करना ? नेत्रों का साफल्य इसी राह से जाने में है। परों विदिशा और उन- यिनी के, तथा उनके आस-पास के स्थानों, पर्वतों और मदियों भादि का वर्णन उन्होंने इतना विस्तृत श्रीर इतमा सुन्दर किया ! पणे १०० मील के सीधे मार्ग से मेव को न भेजकर १२०० मील के टेढ़े मार्ग से उन्होंने उसे अलका