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पृष्ठ:काव्य-निर्णय.djvu/२१

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३-तृतीय उल्लास :
५५-६६
 

अलंकार-मूल कथन, उपमालंकार, अनन्वय वर्णन (५५), प्रतीपालंकार वर्णन, पाँचौ प्रतीप के उदाहरणों का वर्णन, अर्थान्तरन्यास अलंकार वर्णन,निदर्शना का वर्णन (५६), तुल्ययोगिता, उत्प्रेक्षा, अपन्हुति, स्मर्ण, भ्रम,संदेह, व्यतिरेकादि अलंकारों का वर्णन (५७), रूपक, उदात्त, अन्यो न्यादि अलंकार वर्णन, व्याजस्तुति वर्णन (५८), पर्यायोक्ति, आक्षेप,विरुद्ध, अविरुद्ध, विभावना, विशेषोक्ति, तद्गुण-अलंकार वर्णन (५६), मीलित, उन्मीलित, सम, भाविक, समाधि, सहोक्ति, विनोक्ति वर्णव (६०), परिवृत्त, सूक्ष्म, परिकर, स्वभावोक्ति, काव्यलिंग, परिसंख्या अलंकार वर्णन (६१), प्रश्नोत्तर, यथासंख्य, एकावली, पर्याय वर्णन (६२), संसृष्टि अलंकार लक्षण-उदाहरण वर्णन (६३), सकर, सकर-भेद अंगांगी संकर-उदाहरण, सम प्रधान संकर उदाहरण (६४), संदेहालंकार-उदाहरण वर्णन (६५):

४-चतुर्थ उल्लास:
६-१००,
 

रसांग वर्णन (६७); शृंगार रस और उसकी पूर्णता का वर्णन, हास्य रस वर्णन (६६), करुणा और वीर रस वर्णन (७१), रौद्र रस वर्णन,रसोत्पत्ति कथन, स्थायी विभाव, अनुभाव वर्णन (८२), व्यभिचारी भाव वर्णन (७३), पुनः शृंगार रस वर्णन, (७४), स्थायीभाव उदाहरण वर्णन (७५), विभाव उदाहरण वर्णन (७६), अनुभाव वर्णन (७७), व्यभिचारी भाव वर्णन (७८), शृंगार रस वर्णन, शृंगार रस-संयोग-वियोग वर्णन (७६), संयोग शृंगार वर्णन (८०), अभिलाषा हेतुक वियोग- उदाहरण वर्णन (८१), प्रवास हेतुक वियोग भृगार वर्णन (८२), विरह हेतुक वियोग शृंगार वर्णन (८३), असूया (ईया) हेतुक वियोग शृंगार वर्णन (८४), शाप हेतुक वियोग शृंगार वर्णन, बाल-विषय रति-भाव वर्णन, मुनि-विषय रति भाव वर्णन, हास्य रस वर्णन (८५), करुण रस वर्णन (८७), वीर रस वर्णन (८९),भयानक रस वर्णन (९०),बीभत्स रस वर्णन (९१), अद्भुत रस वर्णन (९२), व्यभिचारी संख्या वर्णन (९३), शांत रस वर्णन (९४), शांत रस उदाहरण वर्णन (९५), भाव-भासादि वर्णन, भाव-उदय-संधि वर्णन (९६),भावोदय उदाहरण, भाव-संधि उदाहरण वर्णन (९७), भाव सबलता उदाहरण वर्णन (९८), भाव-शांति, भावाभास, रसाभास उदाहरण वर्णन (९९):