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पृष्ठ:काव्य-निर्णय.djvu/२९

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वर्णन का उदाहरण (४६०), हेतु अलंकार (४६२), प्रथम हेतु-उदाहरण (४६३), द्वितीय हेतु कार्य-कारण एक उदाहरणा, प्रमाणालंकार लक्षण(४६४), प्रथम प्रमाण-प्रत्यक्ष का उदाहरण ( ४६७), द्वितीय प्रमाणा अनुमान उदाहरण (४६६), तृतीय प्रमाण-उपमान उदाहरण, चतुर्थ प्रमाण-शब्द उदाहरण (४७०), श्रुति-पुराणोति प्रमाण उदाहरणा,लोकोक्ति प्रमाण उदाहरण, पंचम प्रमाण-प्रात्मतुष्टि उदाहरण (४७१),षष्ठ प्रमाण-अनुपलब्धि उदाहरण, सप्तम प्रमाण-संभव का उदाहरण (४७२), अष्टम प्रमाण-अर्थापत्ति उदाहरण, अर्थापत्ति-वचन प्रमाण-उदाहरण (४७३), काव्यलिंग अलंकार लक्षण (४७४),काव्यलिंग-उदाहरण, पुनः उदाहरण (४७६), पुनः उदाहरण (४७७),निरुक्ति अलंकार लक्षण-उदाहरण (४७८), पुनः उदाहरण (४७६),लोकोक्ति, छेकोक्ति अलंकार लक्षण (४८१), लोकोक्ति उदाहरण(४८२), छेकोक्ति उदाहरण (४८३), प्रत्यनीक अलंकार वर्णन (४८४), उदाहरण (४८६), दूसरा उदाहरणा-मित्र-पक्ष, परिसंख्यालंकार लक्षण(४८७), प्रथम परिसंख्या-प्रश्न-पूर्वक उदाहरणा, द्वितीय परिसंख्या-प्रश्न-अप्रश्न उदाहरण (४६०), प्रश्नोत्तर-अलंकार लक्षण (४६२),उदाहरण (४६३):

१८-अठारहवाँ उल्लास:
४६५-५२६
 

दीपकादि अलंकार वर्णन (४६५), प्रथम यथासंख्यालंकार लक्षण (४६६),उदाहरण (४६८), एकावली-अलंकार लक्षण (४६६), उदाहरण (५०१),कारणमाला लक्षण (५०२), उदाहरण (५०३), उत्तरोत्तर अलंकार लक्षण (५०४), प्रथम उदाहरण, द्वितीय उदाहरण (५०६), रसनोपमा-लंकार लक्षण (५०८), उदाहरण, रत्नावली अलंकार लक्षण (५१०),उदाहरण (५११), पर्याय अलंकार लक्षण (५१२), प्रथम पर्याय उदाहरण(५१४), द्वितीय संकोच पर्याय का उदाहरण (५१५), तृतीय विकास पर्याय का उदाहरण (५१६), दीपक अलंकार लक्षण (५१८), उदाहरण (५२०), अर्थावृत्ति दीपक उदाहरण (५२१), उभयावृत्ति दीपक उदाहरण,देहरी दीपक उदाहरणा (५२२ ), पुनः देहरी दीपक उदाहरण, कारण दीपक लक्षण (५२३), उदाहरण (५२४), माला दीपक लक्षण (५२५), उदाहरण (५२६):

१६-उन्नीसवाँ उल्लास:
५२७-५५८,
 

गुण निर्णय (५२७), प्रथम माधुर्य गुण लक्षण-उदाहरण, रोज गुण