पृष्ठ:काव्य-निर्णय.djvu/३०

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लक्षण (५३०), ओज गुण उदाहरण, प्रसाद गुण लक्षण (५३१) ,उदाहरण, समता गुण लक्षण-उदाहरण (५३३), कांति गुण लक्षण-उदाहरण (५३४), उदारता गुण लक्षण-उदाहरण, व्यक्त गुण लक्षण(५३५), समाधि गुण लक्षण (५३६), उदाहरण (५३८), श्लेप गुण लक्षण (५३६), प्रथम श्लेप दीर्घ-समास उदाहरण, द्वितीय श्लेष मध्यम समास उदाहरणा, तृतीय श्लेष लघु-समास उदाहरण, पुनरुक्ति प्रकाश गुण-लक्षणा-उदाहरण (५४०), पुनः माधुर्यादि गुणा कथन,माधुर्य गुण विशेषता वर्णन, ओज गुण विशेषता वर्णन, प्रसाद गुणा विशेषता वर्णन (५४२), अनुप्रास वर्णन (५४२), प्रथम छेकानुप्रास लक्षण (५४३), आदि वर्ण की प्रावृत्ति से छेक का उदाहरणा, अंत-वर्ण की आवृत्ति से छेक का उदाहरणा, वृत्यानुप्रास लक्षण (५४४) प्रथम आदि वर्ण एक की अनेक बार श्रावृत्ति का उदाहरण, द्वितीय आदि वर्ण अनेक की अनेक बार श्रावृत्ति का उदाहरण। (५४५), तृतीय अंत वर्ण एक की अनेक वार श्रावृत्ति का उदाहरण, चतुर्थ अंतवर्ण अनेक की अनेक बार श्रावृत्ति का उदाहरण, वृत्ति और उनके भेद-(५४६),उपनागरिका वृत्ति उदाहरणा, परुपा वृत्ति उदाहरणा, कोमला वृत्ति उदाहरण (५४७), लाटानुप्रास लक्ष्य---उदाह. या (५४८), वीप्सालंकार लक्षा-उदाहरण। (५४६), यमकालंकार लदा (५५१), प्रथम यमक का उदाहरण, द्वितीय यमक उदाहरण (५५४ ), तृतीय यमक उदाहरण, चतुर्थ यमक उदाहरण, पंचम यमक उदाहरण, सिंहावलोकन (५५५), अलंकारों के अन्य भेद, रस-बिन अलंकार उदाहरण (५५७) :

२८-बीसवाँ उल्लास:
५५६-५७४
 

श्लेष, विरुद्धाभासादि अलंकार वर्णन (५५६), प्रथम श्लेप शब्दालंकार लक्षाण (५६२), प्रथम द्वितीय-अर्थक श्लेष का उदाहरणा (५६३),द्वितीय तृ-अर्थक श्लेप का उदाहरण, तृतीय चतुर्थ-श्रर्थक श्लेष का उदाहरण, श्लेप की सदेहालंकार से प्रथकता वर्णन (५६४),विरोधाभास लक्षाण (५६५) ,उदाहरण (५६७) ,मुद्रालंकार लक्षण वर्णन,उदाहरणा वर्णन(५६८), मुद्रा का दूसरा उदाहरण दर्शन (५६९), वक्रोक्तिशब्दालंकार-लक्षण (५७०), प्रथम वक्रोक्ति उदाहरण, द्वियीय वक्रोक्ति उदाहरण,तृतीय उदाहरण (५७१), पुनरुक्तवदामास लक्षण (५७२), उदाहरण (५७३) :

२१-इक्कीसवाँ उल्लास:
५७५-६१८
 

चित्रालंकार वर्णन (५७५), चित्रालंकार भेद-नाम वर्णन (५७६),