पृष्ठ:काव्य दर्पण.djvu/१२

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३६० ३२६ M mr ३३५ नवा प्रकाश V गुण १ गुण के गुण २ गुणों से रस का सम्बन्ध ३ माधुर्य ४ ओज ५ प्रसाद-गुण दसवाँ प्रकाश रोति १ रीति की रूप-रेखा २ रीति के भेद ग्यारवहाँ प्रकाश / अलंकार- १ अलंकार के लक्षण २ काव्य में अलंकारों को स्थिति ३ वाच्यार्थ और अलंकार ४ अलंकारों को सार्थकता २. अलंकार के रूप -

अलंकार के कार्य

। अलंकारों का आडम्बर अलंकारों की अनन्तता और वर्गीकरण ६ अलंकार और मनोविज्ञान ३५७ १० शब्दार्थोभयालंकार । ३२४ बारहवाँ प्रकाश अलंकारों के भेद ३२६ १ शब्दालंकार ३६३ ३३० २ अर्यालंकार (सादृश्यगर्भ भेदाभेद-प्रधान) ३७० ३ आरोपमूल अभेदप्रधान । ३८० ४ अभेद-प्रधान अध्यवसायमूल ५ गम्यौपम्याश्रय (पदार्यगत) ३६६ ६ गम्यौपम्याश्रय (वाक्यनत) ३६६ ७ गम्यौपम्याश्रय (भेदप्रधान) ४०३ ८ गम्यौपम्याश्रय- ३३७ विशेषण-वैचित्र्य आदि ४०५ ६ गम्यौपम्याश्चय के शेष भेद ४०८ ३३६ १० विरोवमूल अलंकार ४१७ १३४१ ११ शृखला-मूल अलंकार ४२७ ३४३ १२ तर्कन्यायमूल अलंकार ४२६ ३४६ १३ वाक्य-न्यायमूल अलंकार ४३० ३५० १४ लोकन्यायमूल अलंकार ४३६ ३५३ १५ गूढार्थ-प्रतीतिमूल अलंकार ४४३ १६ कुछ अन्य अलंकार ४४८ ३५५ १७ पाश्चात्य अलंकार ४५२ ३ अलंकार सूची अतद्गुण ४४१, अत्युक्ति ४४८, अतिशयोक्ति ३६३, अर्थवक्रोक्ति ४४३, श्लेष ४०७, अर्थान्तरन्यास ४१०, अनन्वय ३७६, अनुमान ४३०, अपह्नति ७, अप्रस्तुतप्रशंसा ४०८, अल्प ४२४, अवज्ञा ४४६, असंगति ४२१, आक्षेप ४, उत्तर ४४१, उप्रेक्षा ३६०, उन्मीलित ४३६, उपमा ३७१, उपमेयोपमा ८ उल्लास ४४६, उल्लेख ३८७, एकावली ४२८, कारणमाला ४२७, काव्यलिंग