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पृष्ठ:काव्य दर्पण.djvu/१३

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४२६, काव्यार्थापत्ति ४३४, तद्गुण ४४०, तुल्ययोगिता ३९६, दीपक, ३६७, दृष्टान्त ४००, वन्यर्थ-व्यंजना ४५४, निदर्शना ४०१, पर्याय ४३१, पर्यायोक्ति ४१२, परिकर ४०६, परिकरांकुर ४०७, परिणाम ३८५, परिवृत्ति या विनिमय ४३२, परिसंख्या ४३३, पूर्णोपमा ३७२, प्रत्यनीक ४३६, प्रतिवस्तूपमा ३६६, प्रतीप, ४३७, प्रश्न ४४१, प्रहर्षण ४५०, भ्रान्ति या भ्रम ३८६, भाविक ४४४, मानवीकरण ४५३, मिथ्याध्यवसिति ४५२, मीलित ४३६, यथासंख्य या क्रम ४३०, रूपक ३८०, ललित ४४८, लुप्तोरमा ३७३, विकस्वर ४५१, विकल्प ४३४, विचित्र ४२७, विनोक्ति ४१६, विभावना ४१८, विरोधाभास ४१७, विशेष. ४२५, विशेषक ४४०, विशेषणविपर्यय वा विशेषणव्यत्यय ४५६, विशेषोक्ति ४२०, विषम ४२२, विषादन ४५१, व्यतिरेक ४०३, व्याघात ४२६, व्याजस्तुति ४१३, व्याजोक्ति ४४३, संकर ४४६, सन्देह ३८५, संसृष्टि अलंकार ४४५, सम ४२३, समाधि वा समाहित ४३५, समासोक्ति ४०५, समुच्चय ४३५, सहोक्ति ४०५.. सामान्य ४४०, सार ४२६, सूक्ष्म ४४४, स्वभावोक्ति ४४४ ।