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काव्य में रहस्यवाद

हैं; इनके परे जो अगोचर और अव्यक्त पारमार्थिक सत्ता है उसके प्रति हैं । वह यह कहकर ही रह जाता तब तो कला के क्षेत्र में वैसी गड़बड़ी न होती।पर यह प्रतीति उत्पन्न करने के लिए वह अपनी रचना का स्वरूप भी कुछ विशेप प्रकार का रखेगा। उसमें कुछ अलौकिकता, अस्वाभाविकता, देश-काल का अति- क्रम, अनुभूति की विचित्रता-जो विल्कुल मूठी होगी-लाने क्रम' भरपूर प्रयत्न करेगा। वातचीत में वह इस प्रयत्न तक को अस्वीकार करेगा, कहेगा कि सव भावना इसी रूप में परोक्ष जगत् से आकर मेरे हृदय में जबरदस्ती घुस गई हैं। पर वास्तव में इसकी प्रतीति उत्पन्न करने के लिए भी कि भावना इसी रूप मे एकवारगी आई है, उसे पूरा श्रम करना पड़ता है, जैसा कि घोर रहस्यवादी कवि ईट्स ( Yeats) तक ने कहा है ।

हमारे हृदय का सीधा लगाव गोचर जगत् से है। इसी वात के आधार पर सारे संसार में रस-पद्धति चली है और सच्चे स्वाभाविक रूप में चल सकती है।मजहबी सुवीते के लिए अनुभूति के स्वाभाविक क्रम का विपर्याय करने से–मूल आलम्बनों को


  • I Said "A line will take as hours may be,

Yet if it does not seem & moment's thought, Oar stitching and unstitching has been naught.

ईट्स ने इस बात का खंडन ज़ोर के साथ किया है कि कवियों में भावना एकबारगी श्राती जाती है और वे लिखते जाते हैं।स्वय ईट्स अपनी कविताओं की बहुत काट छाँट किया करते हैं।यहाँ तक कि दूसरे संस्करण में उनकी बहुत-सी कविताएँ बदली हुई मिलती है।