हम समझते हैं कि इतने से इस प्रकार की कविता का साम्प्रदायिक रूप स्पष्ट हो गया होगा। अतः रहस्यवाद की कविता के सम्बन्ध में हिन्दीवालों के बीच यह भ्रान्ति फैलाना कि सारे योरप मे इसी प्रकार की कविता हो रही है, यही वर्तमान युग की कविता का स्वरूप है, घोर साहित्यिक अपराध है। रहस्यवाद की कविता एक छोटे से सम्प्रदाय के भीतर की वस्तु है। इंग्लैण्ड आयलैंण्ड को ही लीजिए। मेरी स्टर्जन (Mary C.Sturgeon) ने अभी वर्तमान अँगरेज़ी कवियो का जो परिचय (Studies of Contemporary Poets) प्रकाशित किया है उसमें बीस- बाईस कवि -- जिनमें सरोजिनी नायडू भी हैं -- विशेष विवरण के साथ लिए गए हैं। इनमे रहस्यवादी केवल दो या तीन हैं।
पाश्चात्य साहित्य-क्षेत्र मे रहस्यवाद किस प्रकार एक
साम्प्रदायिक वस्तु समझा जाता है और उसके प्रति अधिकांश
साहित्यिको और शिक्षित पाठकों की कैसी धारणा रहती है,
To draw some clue to his own strange place
From the other land
But his closed hand came back emptily,
As a dreum drops from him who wakes,
And naught might he know but how a muffled sea
In whispers breaks,
On either side of a gray barrier,
The two blind countries lie,
But he knew not which held him prisone,
Nor yet know I.