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काव्य में रहस्यवाद


रचनाओं के बीच-बीच में बड़ी सुन्दर स्वाभाविक रहस्य-भावना पाई जाती है। वर्ड्सवर्थ (Wordswonth) और शेली (Shelley) इसी प्रकार के कवि थे। इनकी रहस्य-भावना स्वाभाविक पद्धति पर होने के कारण हृदय में सच्ची अनुभूति उत्पन्न करती है। जिन तथ्यों या दृश्यों को लेकर इनकी वृत्ति रहस्योन्मुख हुई है उनके समक्ष सहृदय मात्र रहस्य का अनुभव कर सकते हैं। बात यह है कि ये कवि रहस्यवादी नहीं। ये रहस्य को 'वाद' के रूप में लेकर नहीं चले हैं। इन्होंने सच्ची स्वाभाविक रहस्य-भावना की व्यंजना की है। इनकी भावना अभिव्यक्ति का सूत्र ग्रहण करके ही कभी-कभी रहस्योन्मुख हुई है। जगत् रूपी अभिव्यक्ति से तटस्थ, जीवन से तटस्थ, भावभूमि से तटस्थ कल्पना की झूठी कलावाज़ी, भावों की नकली उछल-कूद और वैचित्र्य-विधायक कृत्रिम शब्दभंगी -- जो आधुनिक रहस्य- वादियों में अभिव्यंजना-वादियो (Expressionists) के प्रभाव से आई है -- वर्ड्सवर्थ और शेली की कविता का लक्षण नहीं है।

वर्ड्सवर्थ की कविता ब्रह्म की प्रत्यक्ष विभूति प्रकृति से सीधा प्रेम-सम्बन्ध रखती है। कहीं-कहीं उसमें सर्ववाद (Pantheism) की भी झलक है, परोक्ष जगत् की ओर भी इशारा है, पर उसकी विचरण-भूमि प्रकृति का प्रकाशित क्षेत्र ही है। दूर तक फैले मैदान में कहीं धूप, कही छाया बारी-बारी से पड़ती देख वर्ड्स- वर्थ ने अपने लिए प्रकाश का क्षेत्र चुना और उनके साथी काल-