पृष्ठ:काव्य में रहस्यवाद.djvu/१९

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काय में रहस्यवाद का । भीतरी और बाहरी दोनों विधानो में घोर जटिलता है। इन्हीं जटिलताओं का, इन्हीं परस्पर सन्बद्ध विविध वृत्तियो का, सामंजस्य काव्य का परम उत्कर्ष और सबसे बड़ा मूल्य है । साम- जस्य काव्य और जीवन दोनो की सफलता का मूल मंत्र है । काव्य का जो स्वरूप महर्षि वाल्मीकि ने अत्यन्त प्राचीन काल में तमसा के किनारे प्रतिष्टित किया था, आज ईसा की वीसी शताब्दी में इंगलैंड के अत्यन्त निर्मलहष्टि समालोचक रिचर्ड्स, योरपीय समीक्षा क्षेत्र का बहुत-सा निरर्थक शब्दजाल और कूड़ा-करकट पार करते हुए, उसी स्वरूप तक पहुँचे हैं। अब विचारने की बात है कि किसी अगोचर और अज्ञात के प्रेम मे आँसुओ की आकाशगंगा में तैरने, हृदय की नसो का सितार वजाने, प्रियतम असीम के संग नग्न प्रलय-सा तांडव करने Anything is valanble which will satisfy an appe- tency without involving the frustration of some equal or more important appetency x X x X The complications possible in the systemisation of impulses are indefinite The plasticity of special appe- tencies and activeties valies enormously, X X The importance of an impulse can be defined as the extent of the disturbance of other impulses in the indi. vidual's activities which the thwarting of the impalse involves, -I A Richards Principles of Literary Criticism, Chap. VII (Third Edition 1948)