पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/१०

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गोन से लेकर सहदेव तक पूर्व में सैंतीत सौ बरस के लगभग डेढ़ सौ हिन्दू राजाओं ने कश्मीर सोगा फिर पूरे पांच सौ बरस मुसल्यानों ने इस का उत्पीड़न किया। (बीच में बागी हो कर यद्यपि राजा सुखजीवन ने ८ बरस राज्य किया था पर उस की कोई गिनती नहीं ) फिर नाममात्र को कश्लोर मस्तानी राज्यभुक्त होकर बाज चौंसठ बरस से फिर हिन्दुओं के अधिकार में पाया है। अब ईश्वद स्वर्वदा इस को उपद्रवों से बचावै । एवमस्तु । कश्मीर के वर्तमान महाराज की संक्षिप्त वंशपरम्परा यों है । ये लोग कारवाहे क्षत्री हैं । जैपुरप्रान्त से सूर्यदेव नामक एक राजकुमार ने आकर नस्बू में राज्य का प्रारम्भ किया । उस के वंश में भुजदेव, अवतारदेव, यशदेव, सपालुदेव, चक्रदेव, विजयदेव, दृसिंहदेव, अजेनदेव और जयदेव ये क्रम से हुए। जयदेव का पुष सालदेव बड़ा बली धौर पराक्रमी हुआ । इसने हंसी हंसी में पचास पचास मन के जो पत्थर उठाए हैं वह उसकी अचल कीर्ति बल कार शब भी जब्बू से पड़े हैं। उस के पीछे हबीर देव, अजेव्यदेव, वीर- देव, घोगड़देव, कापूरदेव पीर सुमहलदेव ऊस से राजा हुए । सुमहलदेव के पत्र संबामदेव ने फिर बड़ा नाम किया। पालमगीर एन की वीरता से ऐसा प्रसन्न हुआ कि महाराजगी का पद छत्र चंवर सब कुछ दिया। ये दक्षिण की लड़ाई में मारे गए । एन के पुत्र हरिदेव ने और उनके पुत्र गजसिंह ने राज को बहुत ही बसाया । सब प्रकार के नियम बांधे और महल बनवाए। गजसिंह के पुत्र ध्रुवदेव ने बहुत दिन तक ऐश्वर्य पूर्वक राज्य किया। ध्रुव- देव के रणजीतदेव भौर सूरतसिंह पुत्र थे। रणजीतदेव को व्रजराजदेव और उन को निज परम्परा सम्पूर्ण कारी सम्पूर्णदेव हुए । सम्पूर्ण देव को सन्तति न होने के कारण रणजीतदेव के दूसरे पुत्र दलेलसिंह के पुत्र जैतसिंह ने राज्च पाया । महाराज रणजीतसिंह लाहोरवाले के प्रताप के समय में जैत- सिंह को पिनशिन मिली और जख्य का राज्य लाहोर में मिल गया। जैत- सिंह के पुत्र रघुवीरदेव को पुत्र पौत्र अब अस्बाले में हैं और सर्कार अगरेज़ से पिनशिन पाते हैं। ध्रुवदेव के दूसरे पुत्र सूरतसिंह को जोरावरसिंह और मियां मोटासिंह दो पुत्र थे । मियां मोटा को विभूतिसिंह और उन को एक पुत्र ब्रजदेव हैं जिन को वर्तमान महाराज जम्ब ने कद कर रक्खा है। जो- रावरसिंह को किशोरसिंह और उन को तीन पुन हुए, गुलाबहिह, कुरत-