पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/११६

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सुसल्मान राज्य व का संक्षिप्त इतिहास । सन ५०० में महमाद का जन्म हुआ। ४० बरस की अवस्था में उन्होंने सुमल्यान धर्म का प्रचार किया । सन ६३२ में इन की मृत्यु हुई। इन के उ- त्तराधिकारियों में वलीद रहलीफ़ा ने अपने सतीजा कासिम को ६००० फौज के साघ सिन्धु देश जय करने को भेना । सिन्धु का राजा दाहिर युद्ध में मारा गया और इस को दो बेटियों के कौशल से कासिम को भी वलीद ने मार डाला। सन ८१२ में मासू ने हिन्दुस्थान पर फिर चढ़ाई किया किन्तु चित्तौर के राजा खुमान ने २४ वेर युद्ध कर के उस को भगा दिया । बुखारा के पांचवें बादशाह अब्दुलमालिक का अलप्तगीन नामक एक गुन्तास था जो मालिक के मरने पर वादशाह हुआ । सुबुक्तगीन इस का एक दास था। खामीपुत्र के सरने पर यही खुरासान का राजा हुआ और गज़नी को अपनी राजधानी बनाया। सन 2७० में इसने हिन्दुस्थान पर चढ़ाई किया और लाहोर के राजा जैपाल को जीता । सन ८८८ में उस के मरने के पीछे अपने भाई को कैद कर के सुलतान महमूद बादशाह हुआ। सन १००१ में महसद ने हिन्दुस्थान पर चढ़ाई किया और अपने पुराने शत्र जैपाल को वाद कर लिया। सन १००४ में भटनेर के राजा को जीतने को महमूद की दूसरी चढ़ाई हुई । सुलतान के गवर्नर अबुल फतह लोदी को जीतने को वह तीसरी वर हिन्दुस्तान में आया (२००५ ई० ) । चौथी चढ़ाई उसने जयपाल के पुत्र अानन्दपाल के जीतने को की। आनन्दपाल भी असंख्य हिन्दू सैन्य ले कर उस से भिड़ा किन्तु ठीक युद्ध के समय उस के हाथी के विचलने से वह लड़ाई भी महमूदं जीता और नगरकोट लूट कर भारतवर्ष की अनन्त लक्ष्मी ले गया । इम में ३० मन तो केवल जवाहिर था। (१००८ ई.)। अबुलफतह के वागी होने से मुलतान पर उसकी पांचवीं चढ़ाई हुई (१०१०) । छठी बेर उस ने थानेश्वर लूटा सन (१०११ ) । सातवीं और पाठवीं चढ़ाई इस ने सन १०१३ और १०१४ में कश्मीर पर किया किन्तु वहां के बाजा संग्रामदेव ने इस को हटा दिया । नवीं बार यह सन १०१७ में बड़ी धूम से कन्नौज पर चढ़ा किन्तु कन्नौज के राजा के दासत्व स्वीकार करने से मथुरा नाश करता हुआ लौट गया। १० वीं चढ़ाई अस को सन १०२२ में कालिंजर पर हुई और