की लोहितवर्ण पात का सुवण मयी प्रतिमा से शोभमान चितौर के सौध शिखर पर उडडोयमान यो और तन्मध्य में अनेक का नाम उन लोगों के राज्यस्य शैल शरीर में तोह लेखनीकी लिपि योगसे अद्याविध विद्यमान है। __ इस के पहिले पाइतपुर की जिस खोदित लिपि का उल्लेख किया है, उस से बाप्पा और समर सिंह के मध्य वर्ती शक्तिकुमार राजा का राजत्व काल संवत् १०२४ निरूपित हुआ। जैन ग्रन्य से ज्ञात होता है कि शक्तिकु- मार के चार पुरुष पूर्ववर्ती उल्लत नाम राजा २२२ संवत् में चितोर के सिं- हासनारूढ़ हुए थे । ०६४ खीष्टान्द में वाप्पा ने ईरान देश में गमन किया। ११८३ खीष्टान्द में समर सिंह के समय में हिंदू राजत्व का अवसान हुआ। इस उभय घटना के मध्यवर्ती समय में मिवार राज्य और एका वार मुसलमान गण से आक्रान्त हो का विवरण राजवंश के अन्य में प्राप्त होता है। तत्- काल में खोमान नामक एक राजा चितोर के सिंहासनस्थ थे। उनके राजत्व काल में ८.२ से ८३६ खोष्टान्द के अन्तर्गत किसी समय में मुसलमानी ने चितोर नगर-आक्रमण किया था। खोमाम रास नामक ग्रन्य में तत् प्राक्र- मण संक्रान्त वृत्तान्त सविस्तर नित हुआ है। मिवार राज्य के पद्य निर- चित इतिहास ग्रन्य समूह के मध्य खोमानरास स पेक्षा पुरातन है। टाड साहब कहते है भारतवर्ष का एतत् समय का इतिहत्त नितान्त समसाछत्र है। इस कारण खोमानरासा प्रभृति हिंदू ग्रन्य से तत् संबंध में जो कुछ आलोक लाभ हो सक्ता है वह परित्याग करना उचित नहीं। भारतवर्ष में एतत् काल में जो सब ऐतिहासिक विवरण सत्य कह कर प्रसिद्ध है सो हिंद ग्रन्य में लिखित विवरण अपेक्षा अधिक असङ्गता वा परि- च्छन्न नहीं। जो तदुभय एकत्रित रहने से भावि कालीन इतिहत्त प्रणे- ता उसमें से अनेक उपकरण लाभ कर सकेंगे । इस कारण (मुसलमान सम्राज्य के प्रारम्भ से गजनगर राज्य संस्थापन पर्यन्त) भारतवर्ष मे अरव जाति के समागम का संक्षिप्त विवरण इस अध्याय में मन्निविष्ट किया जा- यगा। परन्तु अरव समागम का सविस्तार विवरण विशिष्ट कोई अन्य नहीं मिलता यह बडे शोच को बात है अलमकीन नाम क ग्रन्यकार ने खलीफा गण के इतिवृत्त में भारतवर्ष का प्रायः उल्लेख नहीं किया है अनुल फजल के अन्य में अनेक विषय का सविशेप विवरण प्राप्त होता है और वह अन्य भी विश्वास के योय है । फग्निता ग्रन्थ में इस विषय का एक पृथक अध्याय है
पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/१६२
दिखावट