पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/२०३

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[ ३६ ] दानकर्ता को कोणगणी लिखा है इस शब्द के भिन्न भिन्न प्रकार के लिखे जाने मे मुळ प्रयोजन नहीं वन्न इस्म यह सचना होती है कि कुर्ग में जो एक पत्थर पर खुदा लेख निकाला था और जिस्क सत्यवाक्य के इगिणी वर्मा धर्म महाराजाधिराज ने सन् ८४० में लिखा था उस में भी इसी शब्द को ग्गणी जी का अपच श है और इस्के कमी कभी कोडगू भी लिखते थे जो कि कोडाग से बहुत सिलता है यह कोडाग उस देश का प्रचलित नाम है जिस को अंग्रेज़ लोग वर्ग लिखते है । ___ मका के लेख के मदृश इस से भी ज्ञात होता है कि हमरे गाधव और कदंबराजाओं में सम्बन्ध भया था अर्थ त् पूर्वोक्त ने मरे को भगिनी से वि- वाह किया था इम में विष्णु गोप के पुत्र गोद लेने और सिंडिकरराय के राज्य का कुछ भी वर्णन नहीं है इम ममय से लेकर सुविक्रम के राज्य तक जिस ने मन् ५३८ में राज्यसिंहासन को सुशोभित किया दानपत्र और राजा इति- हाम दोनों में राजाओं को नामावली सम्पर्ण मिलती है इस के पश्चात् वि- लंड जिस का शुद्ध नाम राजा श्रीवल्लभाख्य था उस को इतिहास में वर्तमान गजा का भाई निखा है (प्रोफेमर डाउमन् के अनुसार छोटा भाई और टेलर के अनुसार वडा ) यथार्थ में वह राजा और राज्यप्रवंध का कार्य सम्पा- दक टोनों या दानपत्र में छोटे भाई का नाम नवकाम लिखा ३ । कोगणी महाराज सोमेश्वर का वृत्तान्त जिस का शुद्ध नाम डासन शिवग सहाराय टेनर शिवरामराय बताते हैं पीछे लिखा है। इतिहास में तो यों है कि इम का पौत्र पृथिवी कोणगणी महाधिराज था जो सन् ८४६ में राज्यसिंहासन पर था ? यही नाम दानकर्ता का है और यदि भीमकोप और राजाकेसरी इसी राजा के नामांतर मान लिये जांय जैमा कि संभव होता है तो पति- हास और-उन पत्र का वृत्तान्त एक मिल जाता है । (१.) स्वास्त जितं भगवता गतघनगगनाभेन पद्मनाभेन श्रीमज्जान्हवेकुला- मलव्योमावभासनभास्करः स्वखनेकप्रहारखंडितमहाशिलास्तभलब्धबलपराक्रमोदार- प्रजारिगणविदारणोपलब्धवारणविभूपणविभूषितः काण्यायनसगोत्रश् श्रीमत्कोदग्नि- याथर्ममहाधिरानः तस्य पुत्रः पितुरन्वागतगुणयु । विद्याविनयविहितवृत्तः सम्य- प्रजापालनमात्राधिगतराज्यप्रयोजनो विद्वत्कविकांचननिकषोपलभूतो नीतिगास्त्र- स्य वक्तृप्रयोक्तृकुशलो दत्तक्सूनवृत्तेः प्रणेता श्रीमान्माधवमहाधिराजः तत्पुत्रः