[ ४६ ] का राज्य ३१७ में शालिवाहन का राज्य फिर सूर्यसेन शक्ति सिंह खनसेन- सुखसिंह मम्म नसेन सुन भरत श्रीपाल जयानन्द रामचन्द्र छत्रचन्द्र अनूप सिंह तुम्वरपाल ननबहाग रणवादी शाल पाल कीर्तिपाल अनङ्गपाल विशालाक्ष सोमदेव वन व नामदेव कीर्त्तिदेव पृथ्वीपति इतने प्रसिद्ध राजा हुए। फिर म्लेच्छों का राज्य प्रारम्भ हुआ। सिकन्दरशाह ने विश्व खर का अपराध किया। इसके पीछे समन्त सानों का वर्णन है। ___फिर कालनिर्णय यों किया है-व्यासादिक का काल ५१५४ वर्ष कलि- युग लगने को पूर्व । श्री कृष्णावतार वापर की सन्ध्या प्रारम्भ कलियुग के पूर्व क्योंकि कलि का काल होते भी उसने प्रावल्य नहीं पाया था । क्षेमक तक युधिष्ठिर का वंश सुमित्र तक इक्ष्वाकु का वंश और रिपुञ्जय तक जरासंध का वंश एक सहस्र वर्ष कलियुग बीते समाप्त हो चुका था। फिर १३८ दपं प्रद्यो तनो का राज्य गत कलि ११३८ वर्ष । शिशु नाग वंश का राज्य ३६२ वर्ष ग. क. १५०० वर्ष। फिर शुद्ध क्षत्रियों का राज्य छूटकर नन्दादिकों का राज्य हुआ नन्दों का राज्य १३७ वर्ष ग० क. १६३७ वर्ष। फिर कखवंश के राजा उन का राज्य ५५७ वर्ष ग• का. २१८४ वर्ष । अान्धराजा का राज्य ४५६ वर्ष ग० क० २६५• वर्ष । फिर सात भाभीर और दस गर्दलिभ राजी का राज्य ३८४ वर्ष ग• का० ३०४४ वर्ष । फिर विक्रमों का राज्य १३५ वर्ष ग० क. ३१२८ वर्ष । अन्त के विक्रम को शालिवाहन ने मारा फिर शालिवाहन वंश ने १५५ वर्ष राज्य किया। शेष पुत्र के वंश ने १३८ शक्ति कुसार के वंश ने ११४ शुद्र क ने ८५ और इन्दुकिरीटी ने ४८ सव ४३७ वर्ष हुए। फिर ३३ वर्ष तोमर, ३४ वर्ष चिन्तामणि, ३० वर्ष राम, और ३६ वर्ष हेमाद्रि राजा ने राज्य किया सव १३३ वर्ष हुए। तब शक ५७० था उसी के पीछे तरुष्कलोगों का प्रवेश होने लगा। फिर भारतवंश के खण्डराज हुए। फिर चालेक्य वंश ने ४४४ वर्ष, पल्लोमदत्त ५५ वर्ष गौडराज २०. भिल्लराज ५० वर्ष राज्य तव शाके १.०६ वर्ष कलि ४१८५, फिर यादवराजे २०७ वर्ष तब शक १२३३ वर्ष। इस वंश के देवगिरि के अन्तिम राजा रामदेव को शक १२१७ में अलावुदीन ने जीतकर राज्य फेर दिया, रामदेव ने ५६ वर्ष और राज्य किया फिर तुरकों का राज्य ३३४ वर्ष हुआ ।
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