प्राचीन काल का संबत निर्णय । माधवाचार्य निखित किसी को टीका से राजावली ग्रन्थ से उद्धृत । यह राजावली ग्रन्ग किमी ज्योतिषी ने सं० १८१६ में बनाया है इस में संवत्सर प्रतिपदा के विधान और कालादिक का अनेक निर्णय किया है और फिर कलियुग के राजाओं का और अन्ययुग के राजाओं का नाम 'राजाधि- राज माधवाचार्य टीकाया मुक्त ' कह के उसने नाधवाचार्य के किसी अन्य की टोका से उड़त किया है यह संवत और नामादिक प्राचीन इतिहास के उपयोग जान कर यहां प्रकाश किये जाते हैं। सत्ययुग में-कृष्णातोर में अमरेश्वरनिङ्ग । पुष्करतीर्थ वौद्ध पत्तनपीठ । राज- तमंज लतपुत्र कृतवेद त्यागी मेन सुचकुन्द भैरव नन्द अन्धक हिरण्यकशिपु पह्लादविरोचन वलि, वाणासुर गमासुर कपिलभद्र निर्घोषा मान्धाता देणु । कश्यप सूर्य मनु महामनु तक्षक अनुरञ्जन विश्वावसु विमना प्रद्युम्न धनञ्जय महीदास यौवनाश्व मान्धाता सुचकुन्द पुरूरवा वलि सुकान्ति वीर। त्रेता में नैमिषारण्य तीर्थ । सोमेश्वर लिङ्ग । जालन्धर पीठ। राजा कद्र पुरुरवा पोपट वेण्य नैषध त्रिशृङ्ग सरोचि इक्षु मनु दिलीप रघु त्रिशङ्ग, हरि- शन्द्र रोहिताश्व धुन्धुमार जन्हु सगर भगीरथ वेणु वत्स भूपाल अज अतिथि नल नोल नाभ पुण्डरीक क्षेमक शतधन्वा शतानोक परिजातक दलनाभ पुप्पसन अजपाल दशरथ श्रीराम लवकुश अगवामी अग्निवर्ण । __ हापर मे-कुरुक्षेत्र तीर्थ । केदारेश्व लिग । अवन्ती पत्तन । राजा-भत्त हरि पृथु अनुविरक्त अव्यक्त फैन इन्द्र ब्रह्मा अत्रि सोम वुध धनुर्जय शतनु गव्य गवाक्ष असमञ्जस निर्घोष प्रजापति अङ्गुरउपवीर अनुमन्धि ज्येष्टभरत कनिष्ठ- भरत धर्मध्वज सान्तनु पाण्डु नरवाहन क्षेमक ययाति क्षान्त चित्र पार्थ अर्जुन अभिमन्यु परक्षित जन्मजय। कलियुग में-गङ्गा तीर्थ । कालीदेवता प्रतिष्ठान पुरनगर। कल्कि अव- तार इसने अलग अलग तीन चाल पर यहां लिखा है और उन के परस्पर जन्म दिन पिता माता के नामादिक सब अलग २ हैं। कलियुग के प्रारम्भ से २०४४ वर्ष के भीतर युधिष्ठिर परीक्षित जन्य जय वत्सराज क्षेमसिंह सोस सिह राणकण्य अंवुमन रामभद्र भरत सिंह पठाण सिंह विश्राम सिंह नरसिंह मादित्य सिंह ब्रह्म मिन् बसुण सिंह हर्पसेन भर्तृहरि। ३०४४ में विक्रम
पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/२१२
दिखावट