पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/२८०

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[ ६५ ] गनियों से विशेष प्यार था और TT महाराज के साथ सतो होना प्रकाप्य करती थीं वे न मती हुई और इन दोनों छोटी रानियों से प्रकाश में प्रेम विशेप नहीं था और ये सतो हई। कहां है और देश को स्त्रियां आवें और प्रांख खोल कर शारत भूमि का प्रेम और पातिव्रत देखें और लाज से सिर शुका लें। जज्ज हारकानाथ मित्र का जीवन चरित्र । स्वर्गीय आनरेवुन्त दारकानाथ मित्र ने सन् १८३१ में हुगली जिन्ना के अन्तर्गत श्रापता से एक कोस दर अगुनाशी गांव में एक साधारण हुगली पर बडा की कचहरी के सुखतार विश्वनाथ मित्र के घर जन्म लिया था बंगाली पाठशाला और हुगली व्यांच स्कूल में पढ़कर हुगली कालेज में इन्हों ने अंगरेजी विद्याध्ययन कर के अपनी बुद्धि के चमत्कार से सव शिक्ष- कादिको अचंभित किया ये अंगरेजी भाषा की पारङ्गतता के अतिरिक्षा हि- साव किताब भी बहुत अच्छी भांति जानते थे हुगली काशेज से ये हिन्दू कालेज में आए जब इन के शील औदार्य, चातुर्य, वातन्त्रा इत्यादि गुण सन छोटे बड़े के चित्त पर भली भांति खचित गे गए थे। हुगली कालेज में सु- ख्यछात्र हत्तिपाना तथा अपने पहिलेहो लेख पर पारितोषिकपाना, कौन्सल आफ एजुकेशन के रिपोर्ट में इन की स्थिति का लिवाजाना, और कलकत्ता युनिवरसिटि के फेलोशिप के हेतु इन का चुनाजाना ही इन के गुणों और विद्या का प्रत्यय देता है एक कानूनी मनुष्य के पुत्र होने के कारण इन की चित्तवृत्ति एक साथ कानून की ओर फिी और उस में योग्य क्षमता पाकर सन् १८५६ में ये वकीलो को परीक्षा में उत्तीर्ण हुए और उसी वर्ष के मार्च में अपना वर्तमान इन्टर प्रिटर का पद छोड कर इन्हों ने सदर कचहरी में वकोली करना आरंभ किया इन्हों ने केवल अपने व्यय से एक औषधालय नियत किया और द्रव्य हीन छात्रों को उत्तम परीक्षा होने तक सहायता करते थे और इन के सत्य प्रियता, निष्पक्षपातिता, दीनी पर दया, मुकद्दमों के सूक्षा भावार्थी को समुझ और कार्य में चातुर्य इत्यादि गुण हाकिसों से लेकर चपरासियों तक विदित हो गए थे और अज्ज लोग इन को विवाद की जड़ समझने और समभाने से बहुत ही प्यार करते थे विशेष कार के भानरे-