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पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/२९४

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हारडिङ्गटी थे उन्हों ने इनकी चमवार राजनीति देख कर इनको शतद्, तोरस्य प्रदेशों का कमिश्नर करके सेज दिया । १८४८ ई० में लारेन्स लाहोर के रेसिडेण्ट के प्रतिनिधि हुए । सिक्खों की दूसरी लड़ाई के बाद लार्ड डिलहोसी ने पञ्जाब शासन करने के लिये एक एडमिनिष्ट्रशन बोर्ड स्थापन किया, उस में यह और इनके बड़े भाई सरहेनरी लारेन्स, चार्लस, और सानसेल, सभ्य नियुक्त हुए इन दोनों भाइयों ने राज्य शासन सम्बन्ध में अति उत्तम क्षमता और निपुणता दिखाई । जान लारोन्स ने १८५७ ई० के गदर में अपनी अद्भुत शक्ति के प्रभाव से पञ्जाब को शांत रक्खा था इसी लिये प्राज तक भारत साम्राज्य अव्याहत है । उस समय लारेन्स पञ्जाब के चीफ कसि- र धे । १८५६ ई० में लारेन्स को के. सी. वी. की उपाधि मिली और वाद- हीइ नको जी. सी. बी. की भी उपाधि मिली थी । १८५८ ई० में यह महा- गज वारनट होकर प्रीवो कौंसिल के सभ्य हुए । १८६३ ई. के नसे म्बर म- हीने में भारतवर्ष के गवर्नर जनरल होकर लार्ड एल गिन के उत्तराधिका- री हुए। १८६८ ई० के सार्च महीने में यह लार्ड उपाधि प्राप्त होकर पा- लियामेण्ट में सभ्य हुए विषय में विशेष अनुराग था। इन्हों ने भारतवर्ष के गवर्मेण्ट स्कल समहों में वाइवेल पढ़ाने का प्रस्ताव किया था । और और भी विशेष गुण इनमें थे । अाज कल यह पार्लि- यामेण्ट में भारतवर्ष सम्बन्धी विषयों की चरचा विशेष करने लगे थे । जिसमें भारतवर्ष का मङ्गल हो इनको यही इच्छा और चेष्टा रहती थी। ऐसे हित. कारी मित्र को खोकर जो भारतवर्ष शोकाकुल न होगा, यह कहना बाहुल्य है। उनके सन्मानार्थ १ जुलाई को कलकत्ते के विाले का निशान गिरा दिया था और ३१ तोपें दागी गई थीं । लार्ड हेष्टिङ्ग के बाद और किसी का ऐसा सन्मान नहीं किया गया था । वेष्टमिनिष्ट्र आदिमें इनकी समाधि दी गई है।

महाराजाधिरान ज़ार का सांक्षप्त जीवन चरित्र ।

ता० १३ मार्च (१८८१ ई०) रविवार के दिन रूस के शाहनशाह ज़ार राज- कीय गाड़ी में बैठकर भजन मन्दिर से अपने भवन में जाते थे कि इस बीच में किसी दुष्ट ने कुल फोदार गोला उन की गाड़ी के नीचे फेंका परन्तु वार खाली गया। तब दूसरा फेंका। इसवेर गोला फूट गया और उस के भीतर को वारूद और गोलियों ने चारो ओर उड़ कर गाड़ी को निध्व'श किया। और