पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/२९५

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जार के पैरों का पता न लगा। केवल दो घण्टा प्राणरहा पश्चात शाहनशाह रूस पंचत्व को प्राप्त हुए। इस गोले ने कई मनुष्यों का प्राग लिया। इस दुष्ट घातक के पकड़ने का शोध हुश्रा और पकड़ा गया इसकी अवस्था केवल २१ वर्ष की है नाम इसका रोसा काफ है। यह खनन विद्या से निपुण है। पह- ले तो इस दुष्ट ने अपने अपराध को अखीकार कर के बचाव किया था पर यह गुप्तभाव कब छिपे, अन्त में इसने सब कुछ अपने सुख से प्रगट किया । इसघोर विपत्ति से रूस में हाहाकार मचा है। यूरोप के लोगों को भी बड़ा दुःख हुआ है । राजकुसार जारविच् रूसी राज्य के उत्तराधिकारी अपने पिता के पद पर नियुक्त हुए। और उन का राजकीय नाम "टतीय एलेक ज्याण्डर" रक्खा गया है, ड्यू क आफ एडिम्बरा सपत्नीक सेण्टपीटर्सवर्ग में गए हैं। इंगलैण्ड में एक मास भर अधिकारी लोग शोच सूचक वस्त्र धारण करेंगे। हाउस आफ कामंस और लार्डस की तरफ से दुःस्व शांत्वन पत्र सेज जायंगे। निहिलिष्ट लोग इस दुष्ट कर्म के करने में बहुत दिन से लगे हुए थे। और कई वेर जो नहीं मो कर चुके थे पर शाहनशाह की आयुष्थ, थी इस से एन का यत्न पूरा नहीं होता था। अब की इन्हों ने अपना दुष्ट सर- ल्प पूरा कियो । शहनशाह रूस जैसे शर और पराक्रमी थे सी समस्त भस- ण्डल में प्रख्यातही है।

इस महान् व्यक्ति का जन्म सन् १८१८ में हुआ। उस समय इनके चचा पालेक्जांडर प्रथम रूस के राज्य सिंहासन पर थे । इनकी पूरी सात वर्ष की अवस्था भी नहीं हुई थी कि इनके चचा साहब खर्ग वासी हुए। मृत अले- कजेंडर के भाई कांसटंटाइन ने राज्य के भार से सुख मोड़ लिया था इस कारण जार के पिता निकोलस को गद्दी मिली और ये युवराज हुए । इस के अनन्तर रूसी सैनिक लोगों में बलवा उत्पन्न हुआ और वह वाई दिन तक रहा इन बलवाइयों का नाम "डकाविसृस" था और ये लोग राजकीय कुटंव के पूर्ण शत्रु थे । इनका यह संकल्प था कि जैसे जर्मनी के छोटे २ हिस्से हो गए हैं, वैसे ही इस राज्य के भी हो जावें परन्तु बहुतसी अन्य प्रा- माणिक सैन्य समूहने प्रथम निकोलस को इनको पराजय करने में बड़ी ही सहायता दी, जिस इन का दुष्ट संकल्प निर्मूल हो गया। सन १८२५ में राजकीय व्यवस्था भली भांति स्थापित करक निकोलस अपनी इच्छानुरूप