पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/३०८

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एंछ पवितात्मा। महात्मा सुहम्मद। जिम ममय अरव देश वाले वन्देवोपासना के घोर अंधकार में फंस रहे थे उम समय महात्मा सुन्म्मद ने जन्म ले कार उन की एकखर वाद का सदुपदेश दिया। अरव के पश्चिम ईसामसीह का भक्तिपथ प्रकाश पा चुका था किन्तु वह मत अग्ब फारम इत्यादि देशो में प्रवल नहीं था और न अरद ऐसे बाहर देश में महात्मा मुहम्मद के अतिरिक्त और निमी का काम था कि वहां कोई नया सत प्रकाश करता । उस काल के अरव के लोग मूर्ख स्वाथ- तत्पर निर्दय और वन्यपगुओं की भांति कट्टर थे । यद्यपि उन में से अनेक अपने को इरराहीम के घंश का ग्तनाते और मति पूजा बुरी जानते किन्तु समाज परवश होकर सच बहु देव पासक बहए थे। इसी घोर ममय में मके से मुहन्यद चन्द्र उदय हुशा और एक ज्वर का पथ परिष्कार रूप से सब को दिग्व नाई देने लगा। ____ महात्ममा मुहम्मद इबराहीम के वंश में इस कर्म से हैं। इबराहीम, इस नाईल, कबजार, इमल, सलमा, अन्न हौसा, अलीसा, ऊद, भाद, अदनान, साट, नजार, मजर, अनपाम, बदरका. खरीमा; किनाना,नगफर, मानिक, फहर, गाजिब, लवी, काब, मिरह, कन्नाव, फजी. अबझनाफ, हाशिम, अबदुल मतलब, अबंदुलाह और इनके अवुन कासिम सुहम्मद । ___ अवदुन्नमतन्नव के अनेक पुत्र थे । जेमा हमजा, अब्बास, अबूतालिव. अबुल हब, अईदाक। कोई कोई हारिम, हजव, हकम, जगर जुबैर, कासमे अमगर, अनदुग्न कावा और मकुम को भी कुछ विरोध से अवदुल मतलव का पुत्र मानते है। इनमें अवटुन्नाह और अनीतालिव एक मां से है। अबी- तालीव के तीन पुत्र अकोल, जाफर और अली। यह अनी महात्मा सुहम्मद के सुसलमानी सत्य मत प्रचार करने को मुख्य महायक और गत दिन के इन के दुख सुख के साथी थे और यह अली जब महात्मा मुहम्मद ने तृतत्व का दावा किया तो पहिने पहन्न सुमल्याग हुए।