पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/३०९

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महात्मा सुम्मद की मा का नाम आमिना है जो अबदमनाम के दमरे बैठे वहब की बेटी है और आदरणीय अन्तो को मा का फातमा है जो अ- सद को वेटो है गौर यह अमद हाशिम के पुत्र है इन से सुहम्मद और अन्नो पिट कुल और माट कुल दोनों रोति से हाशिमी है। महात्मा मुन्नाद १२ वी रजिउन्लोवल सन् ५६८ ईस्वी को मक्का में पैदा हुए। महात्मा मुहम्मद पिता के इन के जन्म के पूर्व एक लेखक के मत से इन के जन्म के दो वर्ष पोछे ] मर जाने से उनके दादा इन वाा लालन पालन करते थे। अरब के उस समय की अमभ्य रीति के अनुमार कोई गई अनाथ लडके को दूध नगें पिलाती थे और इस से वहां की स्त्रियां अमं- गल समझती थी किन्तु अलीमा नासक एक लो ने इन को दूध पिलाना खोकार किया। इस दाई को बालक ऐमा हिए लग गया की एक दिन अ. लीमा ने पाकर महात्मा मुहम्मद को माता मोना से कहा की मले में संक्रामक रोग बहुत से होते हैं इम से -स बालक को मैं अपने साथ जंगल में लेजाऊंगी उन की मा ने आज्ञा दे दी और साढ़े चार बरम तक महात्मा सुहम्मद अलीमा वो साथ बन में रहे परन्तु इनके देवी चमत्कार से कुछ शशा करके दाई फिर इन को इन को माता के पास छोड गई । इनको छ नरस की अवस्था में इन की माता अमोना का भी परलोक हुआ और आठ बरस को अवस्था में इन के टाटा अदल सतन्नब भी मर गए। तब से इन को सहोदर पिटव्य अवीतालिब पर इनके लान न. पानन का भार रहा। अवीतान्धिव महात्मा सुहन्मद के वारह अर पिटव्यों में इन का पिता के सन्दर नाता थे। हाशिम महात्मा सुहमाद के परदादा का नाम था और यह मनुष्य ऐसा प्रसिद्ध हुआ कि उम के समय से उस के वंश का नाम हा- शिमी पडा। यहां तक कि सका और मदीने का हाकिम अब भी "हशि- मित्रों के राजा" के पद से पुकारा जाता है। अबदुल मतलब महाला मुह- नाम को वनुत चाहते थे और यह नाम भी उन्ही का रक्खा हुअा था इस तु मरती समय अवीतालिब को बुलाकर महात्मा मुहम्म की बांह पकडा कर उनके पालन के विषय में बहुत कुछ कह सुन दिया था। अवीतालिब 'An Athaopnan Female Skse.