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पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/३३६

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TIIE ELETERSSEE METREETTEAVEEIVE OR INTD TIMES दिल्ली दरबार दर्पण । सब राजाओं की मुलाकातों का हाल अन्तग २ लिखना आवश्यक नहीं क्योंकि सब के साथ वही मामूली बातें हुई। सब बड़े २ शासनाधिकारी राजाओं को एक २ रेशमी अंडा और सोने का तगमा मिला । झंडे अत्यन्त सुन्दर थे। पीतल के चसकीले मोटे २ डंडों पर राजराजेश्वरी का एक एक सुकुट बना था और एक २ पटरी लगी थी जिस पर अंडा पाने वाले राजा का नाम लिखा था, और फार हरे पर जो डंडे से लटकता था प्लष्ट रीति पर उन के शस्त्र आदि के चिन्ह बने हुए थे। झंडा और तगमा देने के समय श्रीयुत वाइसराय ने हरएक राजा से ये वाक्य कहे :- ___“ मैं श्रीमती सहारानी की तरफ से यह झंडा रवास आप के लिये देता हूं जो उन के हिन्दुस्तान की राजराजेश्वरी की पदवी लेने का यादगार रहे- गा। श्रीमती को भरोसा है कि जब कभी यह झंडा खुलेगा आप को उसे देखते ही केवल इसी बात का ध्यान न होगा कि इंगलिस्तान के राज्य को साथ आप के ख रखा राजसी घराने का कैसा दृढ़ सम्बन्ध है बरन यह भी कि सरकार की यह बड़ी भारी इच्छा है कि आप के कुल को प्रतापी, प्रा. रब्धी और अचल देखे। मैं श्रीमती महारानी हिन्दुस्तान की राजराजेश्वरी को पानानुसार आप को यह तगमा भी पहनाता हूं। ईश्वर करे आप इसे बहुरन तक पहिनें और आप के पीछे यह आप के कुल में बहुत दिन तक रह कर उस शुभ दिन की याद दिलाव जो इस पर छपा है।" शेष राजाओं को उन के पद के अनुसार सोने या चांदी के केवल तगमे ही मिले। किलात के खा को भी झंडा नहीं मिला पर उन्ह एक हाथी जिस पर ४००० को लागत का हौदा था, जड़ाऊ गहने, घड़ी, कारचोबी कपड़े, कमलाब के थानं वगैरह सब मिला कर २५००० को चीज़ तु- हफ़ में सिलीं। यह बात किसी दूसरे के लिये नहीं हुई थी। इस के सिवाय जो सरदार उन के साथ आए थे उन्हें भी विश्तियों में लगा कर दस हज़ार