पृष्ठ:काश्मीर कुसुम.djvu/३४९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
[१४]


दिन २ बढ़ता जाता है और यही उसके राजकाजं. सम्बन्धी बहल या हेतु . और निता बढ़नेवाली शतिा का गुप्त कारण है, और इन्हीं लोगों के द्वारा पछिम देश का शिल्य, सभ्यता और विज्ञान, ( जिन के कारण प्राज दिन यूरोप लड़ाई और सेना दोनों में सब से चढ़ बढ़ कर है ) बहुत दिनों तक पूरब के देशों में वहां वानी को उपकार को लिये प्रचलित रहेगा ।

परन्तु हे हिन्दुस्तानी लोग ! बाप चाहे जिस जाति या मत के ही यह निश्चय रखिये कि पाय इस देश को प्रबन्ध से योग्यता के अनुसार अंगरेज़ों ने साथ सली भांति कास पाने की योग्य है, और ऐसा होना पूरा न्याय भी है, और इंगलिस्तान तथा हिंदुस्तान के बड़े राजनीति जानने वाले लोग और वहारानी को राजसी पार्लमेन्ट को व्यवस्थापकों ने बार बार इस बात को खी- झार भी किया है। गवरनेन्ट पाव इण्डिया ने भी इस बात को अपने सन्मान और राजनीति को सन अभिप्रायों के लिये अनुकूल होने के कारण माना है। इसलिये गवरमेन्ट प्राव इंडिया इन बरसों में हिंदुस्तानियों की कारगुज़ारी को ढंग में, सुनकर बड़े २ अधिकारियों के काम में, पूरी उन्नति देख कर संतोप प्रगट करती है।

इस बड़े राज्य का प्रबन्ध जिन लोगों के हाथ में सौंपा गया है उन में केवल वृद्धि हो के प्रबल होने की आवश्यकता नहीं है बरन उत्तम पाचरण और समाजिक योग्यता की भी वैसी ही भावश्यकता है। इस लिये जो लोग कुला, पद, और परम्परा के अधिकार को कारण आप लोगों में लामा- विक हो उत्तम हैं उन्हें अपने को और संतान की केवल उस शिक्षा के द्वारा योग्य करना अवश्य है जिस से कि वे श्रीसती महारानी अपनी राज- शाजेश्वरी की गवरमेन्ट की राजनीति को तत्वों को समझे और काम में ला वकें और इस रीत से उन पदों के योग्य हो जिन के द्वार उन के लिये खुले हैं।

राजसक्ति, धर्म, अपक्षपात, उता और साहस देश सम्बन्धी मुख्य धर्म है उन का सहज ओत पर बरताव वारना आप लोगों को लिये बहुत अवश्य है, और तब श्रीमती को गवरमेन्ट राज के प्रबन्ध में श्राप लोगों की सहायता बड़े शानन्द से अंगीदवार कारेगी, क्योंकि पृथ्वी के जिन २ भागों में लदकार . का राज है वहां गवरमेन्ट अपनी सेना के बल पर इतना अरोला नहीं बा- रती जितना कि अपनी सन्तुष्ट और एकजी या बी सहायता पर जो