पृष्ठ:किसान सभा के संस्मरण.djvu/१७३

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( ११८ ) सभा होने न दी जाय । उनने इस बारे में अपना काफी दिमाग लगाया। साफ साफ नोटिस देके हमारी सभा रोकने में उन्हें शायद खतरा नजर आया । इसलिये एक चाल चली गई । ठीक सभा के दिन बहुत ही सवेरे उस इलाके के सभी गाँवों के पटेलों और मुखियों को राज्य की कचहरी पर पहुँच जाने की खबर ऐन मौके पर दी गई जबा हमारे आदमी सभा की तारीख बदल न सकते थे। पटेल और मुखिया लोग होते हैं एक तरह के राज्य के नौकर । इसलिये उसका कचहरी में पहुँच जाना जरूरी हो गया, और जब सभी गांवों के मुखिया ही चले गये तो फिर सभा में आता कौन ? अभी तक किसान-सभा वहाँ जमी तो थी नहीं । सीधे-सादे खेडूत (किसान) उसका महत्त्व क्या जानने गये १ और अगर इतने पर भी गाँव के प्रमुख लोग सभा में चलते, तो दूसरे भी आते । मगर वह तो कचहरी चले गये। फलतः सभा की कोई संभावना रही न गई। इस प्रकार बड़ौदा राज्य का यत्न सफल हो गया। जब हम स्टेशन पर पहुँचे तो इन्दुलाल जी ने सब बातें कहीं । फिर तय पाया कि रात में पास के. ही एक गाँव में ठहरना होगा। ठहरने का.. प्रबन्ध पहले से ही था। उस इलाके में रानीपरज के नाम से प्रसिद्ध जाति के लोग ज्यादातर बसते हैं। वही वहाँ के असली किसान हैं। उनके नेता श्री जीवनभाई हमारे साथ थे। वे अब कहीं बाहर कारवार करके गुजर करते हैं। मगर हमारी सहायता के लिये आ गये थे। उन्हीं के साथ हम सभी उस गाँव में गये। जब हमने रानीपरज की दशा पूछी तो उनने सारी दास्तान कह सुनाई । यह भी बताया कि "रानीपरज प्रगति- मंडल" के नाम से एक संस्था खुली है जो उन लोगों को उन्नति का यत्न करती है। स्कूल यादि के जरिये उन्हें कुछ पढ़ाया लिखाया जाता है। चरखा भी सिखाया जाता है। सरदार वल्लभ भाई वगैरह उसमें मदद करते हैं। 'रानी परज' या किसी ऐसे ही नाम का कोई पत्र मी निकलता है। सारांश, वह "प्रगति-मंडल" समाज-सुधार की संस्था है। इसीलिये शराब वगैरह पीने से लोगों को रोकती है। . A .