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va ( १४०.) कि सोशलिस्ट तो कबूल हो, मगर मेरे जैसा श्रादमी, जो सोशलिस्ट बनने का दावा कभी नहीं करता, कबल न हो। यह मेरा आश्चर्य आज तक बराबर बना है। इतना ही नहीं जब मैंने सोशलिस्ट नेता जयप्रकाश बाबू से यह चर्चा की तो उनने खुद कहा कि गंगा बाबू तो सोशलिस्ट भी हैं, तब कैसे कबूल हो गये ? इसीलिये यह सावल आज भी ज्यों का त्यों बना है और कौन कहे कि कब तक बना रहेगा ?