पृष्ठ:किसान सभा के संस्मरण.djvu/२३९

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( १८०) कर्ता और नेता भी जेल गये। वहीं लालकुत्तों वाले किसान-सेवकों के दल पहले पहल तैयार किये गये। उनके बारे में तो उस टाल में तैनात अफसरों तक ने कह दिया कि सचमुच ही ये लोग शांतिदल (Peace Brigade) के अादमी हैं । जमींदारों के द्वारा लाठीराज और गुंडाराज कायम कर देने पर भी उन्हीं ने वहाँ किसानों को हर तरह से शान्त रखा। वे भी उन्हीं किसानों के बच्चे थे । यही तो उस दल की खूबी रही है। हमने लड़ाई के नेतृत्व के लिये भी उन्हीं पिछड़े किसानों को स्वावलम्बी बनाया। पैसे वगैरह का काम भी उनने जैसे-तैसे ज्यादातर खुद ही चलाया । हाँ, तो उसी टाल के दो गाँवों में हमने मीटिंगें की। पहले से ही उन मीटिंगों की तैयारी थी। उसके बाद फिर बाद लौटने के बजाय बाहर ही बाहर बिहार के इलाके में हमें नूरसराय जाना था। रास्ता विकट था। बैलगाड़ी वगैरह से जैसे-तैसे हमें हरनौत जाना था। वहाँ से टमटम से नूरसराय यासानी से जा सकते थे। ठीक याद नहीं कि हमें टमटम को सवारी हरनौत में ही मिली, या उससे पहले ही पहुंची थी। मगर हरनौत के बाद तो हम जरूर ही टमटम से गये यह बखूबी याद है। असल में हरनौत, के बाद की ही यात्रा महत्त्वपूर्ण थी । इसीलिये वह अच्छी तरह याद है। हरनौत से बहुत दूर तक हम पक्की सड़क से हो गये। मगर आगे हमें पक्की सड़क छोड़ देना पड़ा। टमटम कच्ची सड़क से चलने लगा। हम कई साथी उस पर बैठे थे । शायद तीन घे । कुछ दूर जाने के बाद हमें एक अजीब लड़ाई देखने को मिली। जिस गाँव के पास यह हो रही थी उसका नाम-धाम तो हमें याद नहीं । हमने बहुत दूर से देखा कि तीन-चार छोटे छोटे जानवरों को आपस में ही कुछ खटपट चल रही है। कभी एक खदेड़ता है बाकियों को, जो तीन की तादाद में थे, तो कभी वे तीन उस पर हमला करते हैं । बहुत देर तक मैं यह चीज देखता रहा । जब तक टमटम नजदीक न पहुँचा तब तक तो मुझे पता भी न चल सका कि ये कौन से जानवर आपस में लड़ रहे हैं । मगर धीरे धीरे चक्कर काटता हुआ टमटम जब कुछ नजदीक पाया तो. मालूम हुया कि एक छोटी सी बकरी अपने , ,