फिर साहब ने उस मर्द की ओर घूमकर कहा, "टुम्हारा वयान बोलो।"
मर्द,-"फिदवी का नाम बसंतकुमार है और यह ज़िले शाहाबाद का रहनेवाला है। फ़िदवी किश्ती पर पटने से सवार होकर मेले में आता था कि डोंगी को उलटती देख एकाएक कूद पड़ा। फिर ताबेदार के हाथ में इनके ( कुसुम की ओर इशारा करके ) बाल आए और निहायत कोशिश करने पर बहुत दूर बहकर कछाड़ तक गुलाम इन्हें लेगया; फिर वहां पहुंचकर बेहोश होगया। उसके बाद जो कुछ हुआ, उससे तो हुज़ूर आगाह हो ही गए है।"
मजिष्ट्रीट, टुम बहादुर आडमी है, क्योंकि अपनी जान पर खेलकर किसीका जान बचाना, सच्ची बहादुरी है। हम टुम पर निहायट खुश हुआ। टुम कौन जाट है ?"
वसंत,-"क्षत्री।”
मजिष्ट्रटे,-" टुम क्या काम करटा है ?"
बसंत, " मैं अभी पढ़ता हूं।"
मजिष्ट्रीट,-" अग्रेजी जानता है ?"
बसंत,- जी हां, हुजर !"
मजिष्ट्रीट,-" अच्छा अगर टुम नौकड़ी करना चाहो तो हमसे छपरा में मुलाकाट करना । हम टुमाग नाम 'नोटबुक' में लिख लिया। अगर टुम मिलेगा टो हम टुमको नौकरी डेगा: टुम अच्छा आडमी है।"
यह सुन वसंतकुमार ने उठकर साहब को लंबा सलाम किया।
फिर साहब ने कुसुम से कहा,--"टुमारा क्या नाम ? कुसुम ! हां! टुमारे साथ किटने रुपए का अस्वाव नुकसान हुआ ?"
कुसुम,-" कुछ भी नहीं, हुजर ! फकत एक डब्बा जेवरों का था. जिसमें हज़ार-बाठ सौके मामूली जेवर थे; और मेरे बदन पर जो कुछ जेवर थे, उनमें से गिरने से जो बचे, वे मौजूद हैं।"
इतना समझ लेना चाहिए कि मुर्दे की हालत में कुसुम के बदन पर के जेवर किसी चौकीदार या पुलिसवाले ने नहीं छूए थे।
मजिष्टेट,-"टुम डौलटचंड रंडी कीलड़की है, टभी इटने माल को मामूली बटलाटी है। खैर अब हम खर्च डेटा है और अईली डेटा है, वह टुमको बखुशी आरा पहुचा आवेगा