पृष्ठ:कुसुमकुमारी.djvu/८६

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पारच्छेद) कुसुमकुमारो इसके बाद करीमपखश और भगक पर गिरफ्तारी का वारद निकाला गया और सर्कार इष्ट इंडिया कपनी और बीचो भुसुमकुमारी की ओर से मुजरिम के पकड़ने या पकड़ा देनेवाले को इनाम देने का इश्तिहार दिया गया। ईश्वर की दया से आज ये सारे (उगली से दिखाकर ) मुजरिम हुज़र के रूबरू हाज़िर हैं। इन्हें मैने पकडा और गिफ़्तार करवाया है, इसलिये इष्ट इडिया कम्पनी और बीबी कुसुमकुमारी के इश्तिहार के मुताबिक उस इनाम के पाने का मैं हकदार हूं।" मजिस्ट्रेट.--"टुम किस टरह सबको पकड़ा?" भैरोसिंह,-"मुझे किसी तरह मालूम होगया था कि करीम- बखश, झगरू वगैरह अपना दल बाध और मेस बदल कर डकैती करते फिरते और पुलिस की आंखों में धूल झोंकते हैं । तब मैं कुछ दिन की छुट्टी ले और घर जाने का बहाना कर इन लोगों से जा मिला और कीबी कसुमकुमारी के यहांले बेआबरू होकर निकाले जाने और उससे इस बात का बदला लेने की पट्टी पढ़ाकर इन सभोंको मैने अपने ऊपर यकीन दिलाया। फिर इनके साथ दो बार डकैती करने भी मैं गया, पर धीरे से इन सभोंसे अलग होकर दोनों बार मैंने गाववालों को होशियार कर दिया और जब वे लोग इनके गरोह को पकड़ने के लिये छटे तो इन सभोंके साथ भाग कर इन सभोंकी जाने भी मैंने बचाई, इस कार्रवाई से ये लोग मुझ पर विश्वास करनेलगे पीछे, धीरे धीरे इन सभोंका सारा भेद् मुझे मालूम होगया। ये मियां करीमबखश बीवी कसमकुमारी पर आशिक हैं, और उनसे फिटकारे जाकर बाबू बसन्तकुमार को इन्होंने ही उस झाड़ी में अपने भरसक मार ही डाला था। और ये झगरू आस्ताद हैं, ये भी बीबी कसमकमारो से फिटकारे जाकर उनसे बड़ी खार रखते है। इन्होंने भी उस दिन बाबू बसन्तकुमार के मारने में करीमवस्त्रश की सहायता की थी। और ये सब इनके गरोहवाले बनारस, मिर्जापुर और भोजपुर के छटे हुए बदमाश हैं। इनमें से भी कई लोगों ने उस दिन बाबू बसन्तकमार के मारने में करीमबखूश की मदद की थी। "ये सब हाल मुझसे करीमबखश, झगरू और इन बदमाशों से मालूम हुए। फिर करीमबखश ने यह खाहिश जाहिर की कि, 'किसी वरह वसन्तकुमार कोमार डालना और फुसुम को उहालाकर उसको