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कोड स्वराज

सकते थे। उनमें से अधिकांश लोग मुझसे बात करने में झिझक रहे थे और इस बात के लिए चिंतित थे क्योंकि उन्हें ऐसा लग रहा था कि वे इस संघर्ष, और मौलिक परिवर्तन को अपना रहे हैं।

मुझे लगता है कि आपको, सरकार को बाहर और अन्दर, दोनों तरफ से प्रभावी बनाने की आवश्यकता है। मैं भारत और संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, दोनो के सिविल सेवा (Self-Employed Women 's Association of India) के कौशल का बड़ा प्रशंसक रहा हूँ। आप किसी भी मिशन ऑरिएंटेड एजेंसी को देखें उसमें आपको तकनीकी ज्ञान में महारथ हासिल किये लोग मिलेंगे और आप उन्हें सार्वजनिक सेवा (Self-Employed Women's Association of India) के प्रति प्रतिबद्ध पायेंगे।

हालांकि, हम ये सरकार के सिर्फ अन्दरूनी लोगों पर छोड़ नहीं सकते हैं। हम अपनी सरकारों के मालिक हैं और यदि हम उनके कार्य में सक्रिय रूप से भाग नहीं लेते हैं, तो वे अपनी पूर्ण क्षमता तक नहीं पहुंच पाएंगे। पारदर्शिता को एक लक्ष्य के रूप में निर्धारित करना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि हमें अधिक विशिष्ट (स्पेसिफिक) होना होगा। इसलिए कोड स्वराज की जरुरत है। यदि कोई कानून है, तो उसे सार्वजनिक होना चाहिए। पारदर्शिता की दृष्टि से यह केवल पारदर्शिता के लिये नहीं है, बल्कि यह हमारे कानूनी और तकनीकी संरचना को प्रभावी रूप से कार्य करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण है। ऐसा केवल आंतरिक प्रयास से ही नहीं होता है।

कई सालों से, ऐसा लग रहा था कि सरकार के अन्दर से काम करना ही एकमात्र तरीका है। यूनाइटेड किंगडम की गवर्नमेंट डिजिटल सर्विस को, तकनीकी दुनिया में सार्वभौमिक प्रशंसा मिली है, लेकिन सरकार में बदलाव होने के बाद अब यह एक खाली ढांचा है। संयुक्त राज्य अमेरिका में, यू.एस. डिजिटल सर्विस और 18 F, इस बात का संघर्ष कर रहे थे कि विधायिकी और कार्यकारी शाखाओं में नीति निर्धारकों का ध्यान उन पर रहे। वे लगातार अच्छा काम कर रहे हैं और मैं, इन दोनों एजेंसियों के कार्यरत प्रशासकों को व्यक्तिगत दोस्त की हैसियत से जानता हूँ और उनके खुद की सार्वजनिक सेवा (Self- Employed Women 's Association of India) की भावना का मैं काफी कद्र करता हूँ। लेकिन उन्हें बाहर से हमारी सहायता की आवश्यकता है। हम प्रशासन को सिर्फ सरकार के भरोसे नहीं छोड़ सकते हैं। नागरिक होने के नाते यह हमारी जिम्मेदारी भी है।

भारत में ज्ञान का एजेंडा

जैसे ही दिसंबर करीब आया और वर्ष 2017 का अंत हुआ, मैंने यह समझने की कोशिश में अपने दिन बिताए कि मैं क्या करना चाहता हूँ। मुझे लगा कि मैं भारत में अधिक काम करना चाहता हूँ। मैं ऐसा अपने स्वार्थी कारणों के लिए करना चाहता हूँ। मुझे इस विशाल और विविधतापूर्ण देश से बहुत कुछ सीखने को मिलता है, यह समृद्ध इतिहास और जीवंत लोगों का देश है। मुझे लगता है कि सैम पित्रोदा के साथ किये गये काम एक परिवर्तन की शुरुआत है। उनके जरिए मैं भारत में बहुत सारे लोगों से मिला और मुझे इस बात का यकीन है कि वे जिन्दगी भर मेरे अच्छे दोस्त बने रहेंगे।

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