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गणेश वेड्कटेश जोशी बी० ए०


भारत के व्यापार-वाणिज्य, आर्थिक अवस्था और उद्योग-धन्धे आदि से सम्बन्ध रखनेवाली कितनी ही बड़ी-बड़ी रिपोर्टें गवर्नमेंट की आज्ञा से हर साल प्रकाशित होती हैं। उनमे अड्को ही की भरमार रहती है। पढ़ने योग्य मज़मून बहुत नही होता। ऐसी रिपोर्टें जोशीजी को प्राणो से भी अधिक प्यारी थी। संख्यातीत बातें---संख्यातीत हिसाब-अड्को के रूप मे उनके दिमाग मे भरी रहती थी। उनके पुस्तक-संग्रह मे ऐसी ही पुस्तको की अधिकता थी। उन्हीं के बीच मे बैठकर जोशीजी उनके अड्कसागर मे डुबकियाँ लगाया करते थे। उनसे यदि कोई यह पूछता कि इस साल भारत से अमेरिका को कितना चमड़ा गया, अथवा विलायत से कितने टन लोहा भारत मे आया, अथवा कितने की शकर मिर्च के टापू से बम्बई या कराची मे उतरी तो उसके प्रत्येक प्रश्न का उत्तर जोशीजी तत्काल हो, अड्को के रूप मे, दे देते। इस विषय मे जोशीजी का सानी नहीं देख पड़ता।

माननीय महादेव गोविन्द रानडे से जोशीजी की बडी घनिष्ठता थी। रानडे के लेखो और वक्ततायो में भारत की आर्थिक और व्यापार-विषयक अवस्था के द्योतक जो अड्क पाये जाते हैं, सुनते हैं, वे सब जोशीजी ही के दिमाग की बदौलत रानडे महाशय को प्राप्त हुए थे।

जब तक जोशीजी अध्यापन-कार्य करते रहे तब तक उन्हें राजकीय विषयों पर लेख लिखने, अथवा उनकी और तरह