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राय श्रीशचन्द्र वसु बहादुर

श्रीयुत वसु महोदय संस्कृत के उत्तम वैयाकरण ही नहीं, वेद-वेदाङ्ग, स्मृति, दर्शन-शास्त्र और तन्त्रों तक के अच्छे ज्ञाता हैं। हिन्दू-धर्म से सम्बन्ध रखनेवाली जो दो पुस्तकें लिखकर आपने प्रकाशित की हैं उनसे इन शास्त्रों मे आपकी पारदर्शिता का अच्छा परिचय मिलता है। इन पुस्तको के नाम हैं----(१) Catechism of Hinduism और (२) Daily Practices of the Hindus.

बाबू साहब संस्कृत और अँगरेज़ी के सिवा हेब्रू ,ग्रीक, लैटिन, फ्रेञ्च और जर्मन भाषाये भी जानते हैं। यही नहीं, आप अरबी और फ़ारसी के भी बहुत अच्छे ज्ञाता हैं। जिस समय आप ग़ाज़ीपुर मे मुन्सिफ़ थे उस समय आपकी अदालत मे मुसलमानों ने एक मुक़द्दमा दायर किया और इस बात का फ़ैसिला चाहा कि वहाबी लोग सुन्नियों के साथ एक ही मसजिद में नमाज़ पढ़ सकते हैं या नही। इसके लिए आपने मूल अरवी में मुसलमानों की सैकड़ों धर्म-सम्बन्धी पुस्तकें पढ़ीं। जो यहाँ नही मिल सकीं उन्हें अरब, मिश्र, तुर्की और फ़ारस तक से मॅगाया। इस तैयारी मे कोई एक वर्ष लगा। फिर आपने जो फ़ैमिला लिखा उसे पढ़कर मुसलमानों के बडे-बड़े धर्माध्यक्षों तक ने दाँत तले उँगली दबाई। यह तो आपके मुसलमानी धर्म-शास्त्र के ज्ञान की बात हुई। हिन्दू-धर्म-शास्त्रों से सम्बन्ध रखनेवाले आपके व्यापक ज्ञान का प्रमाण काशी का वह मुक़द्दमा है जिसका उल्लेख पहले ही ऊपर किया जा चुका है।