पृष्ठ:कोविद-कीर्तन.djvu/३

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निवेदन

इस संग्रह में चुने हुए १२ विद्वानों के संक्षिप्त जीवन-चरित सन्निविष्ट हैं। उनमें से केवल एक––आचार्य्य शीलभद्र––प्राचीन और अवशिष्ट सभी अर्वाचीन विद्वानों के हैं। ये सभी चरित काल-क्रम के अनुसार, एक के अनन्तर एक, रक्खे गये हैं। अर्थात् जिसका प्रकाशन पहले हुआ है वह पहले और जिसका पीछे हुआ है वह पीछे रक्खा गया है। कारण यह है कि ये चरित, समय-समय पर, अधिकांश चरितनायकों की निधन-वार्ता विदित होने पर, लिखे गये हैं। अतएव इनका बहुत कुछ सम्बन्ध समय से है। कौन चरित कब "सरस्वती" में प्रकाशित हुआ, यह बात प्रत्येक लेख के नीचे लिख दी गई है।

काल-क्रम के अनुसार लेखों को इस संग्रह में रखने का एक और भी कारण है। इसके कोई-कोई लेख बहुत पुराने––पच्चीस-छब्बीस वर्ष से भी अधिक पुराने––हैं। उन्हे पढ़ने से पाठकों को यह मालूम हो जायगा कि जिस समय के वे लेख हैं उस समय हिन्दी की लेखन-शैली कैसी थी और अब कैसी है। उस समय की शैली की तुलना आजकल की शैली से करने पर दोनों के गुण-दोषों का निर्णय करने में बहुत कुछ सहायता मिल सकती है।